नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में मंगलवार को सदस्य देशों के बीच 15 समझौतों पर अंतिम मुहर लगने की संभावना है। आपसी कारोबार को बढ़ावा देने, नये सदस्यों को शामिल करने, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, युवा मामलों, विज्ञान व प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों से जुड़े होंगे। इन समझौतों को लेकर मई, 2023 में विदेश मंत्रियों की बैठक में सहमति बनी थी, जिस पर अब शीर्ष नेताओं की मुहर लगेगी। यह बैठक वर्चुअल तरीके से होगी। बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ भी हिस्सा लेंगे। इस बार शिखर सम्मेलन के एजेंडे में एससीओ के विस्तार का मुद्दा भी प्रमुख रहने वाला है। दो देशों को (ईरान व बेलारूस) को पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल किया जाएगा। जबकि, म्यांमार, यूएई, बहरीन, कुवैत और मालदीव को वार्ता सलाहकार के तौर पर शामिल किया जा रहा है। सभी वार्ता सलाहकार देशों को पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल किया जा सकता है। मंगलवार को होने वाली बैठक एक सत्र में ही होगी।
नये पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको भी इसमें शामिल होंगे। इस तरह से अगले वर्ष से एससीओ मौजूदा आठ देशों की जगह दस देशों का संगठन हो जाएगा। चीन व रूस इस संगठन को तेजी से विस्तार देने के प्रयास में है। कोशिश है कि एससीओ दक्षिण एशिया, मध्य एशिया व खाड़ी क्षेत्र के देशों के एक संगठन के तौर पर आगे बढ़े। अभी नेपाल और श्रीलंका दोनों इसमें वार्ता साझेदार देश हैं। इन्हें आबजर्वर देश का दर्जा जल्द ही दिये जाने की संभावना है। इसके अलावा भी कई देशों की तरफ से एससीओ में शामिल होने की इच्छा जताई गई है। भारत 2005 से एससीओ से जुड़ा हुआ है, जबकि पाकिस्तान के साथ भारत को वर्ष 2017 में पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल किया गया। पहली बार 2023 में भारत को इस संगठन की अध्यक्षता करने का मौका मिला है।