Emergency: जब छीन गए थे जनता के सारे अधिकार, देश में 25 जून की वो अंधेरी रात जब लगी थी इमरजेंसी

Emergency: 18वीं लोकसभा सत्र की शुरुआत सोमवार से हो चुकी है। इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शपथ ले रहे थे।जिस समय राहुल गांधी समेत पूरी विपक्ष ने भाजपा सरकार को संविधान की प्रतिलिपि दिखाई। लेकिन वहीं कांग्रेस है जिसके शासनकाल के दौरान संविधान को छोड़ सत्ता के लोभ में देश में आपातकाल लगाया था।

जिस संविधान की दुहाई आज कांग्रेस दे रही है कि भाजपा सरकार को संविधान को बदलना नहीं चाहिए इस संविधान को ताक पर रखकर कांग्रेस ने पहली बार भारत में आपातकाल लागू किया जिसे काला दिवस के रूप में मानते हैं।

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आज ही के दिन यानी 25 जून 1975 को अनुच्छेद 352 के अंतर्गत पूरे भारत में आपातकाल की घोषणा की गई थी आपातकाल के बाद नागरिकों के मूल अधिकार छिन गए थे । भारत पर थोपे गए आपातकाल के आज पूरे 50 साल पूरे हो गए हैं।

क्या रहा कारण आपातकाल का ?

मामला 1971 में हुए लोकसभा चुनाव का था जिसमें इंदिरा गांधी ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राज नारायण को पराजित किया था। लेकिन परिणाम आने के 4 साल बाद राज नारायण ने हाई कोर्ट में चुनाव परिणाम की चुनौती दी।उनकी दलील थी कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का प्रयोग किया है।

चुनावों के दौरान तय सीमा से अधिक खर्च किए और मतदाता को प्रभावित करने के लिए गलत तरीकों का प्रयोग किया। अदालत ने इन आरोपों को सही ठहराया इसके बावजूद इंदिरा गांधी टस से मस नहीं हुई। यहां तक की कांग्रेस पार्टी ने भी बयान जारी कर कहा कि इंदिरा का नेतृत्व पार्टी के लिए अपरिहार्य है।

1975 की तपती गर्मी के दौरान अचानक भारतीय राजनीति में बेचैनी दिखाई यह सब हुआ इलाहाबाद के उच्च न्यायालय के उसे फैसले से जिसमें इंदिरा गांधी को चुनाव में धांधली करने का दोषी पाया गया और उन पर 6 वर्षों तक कोई भी पद संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया था था। लेकिन इंदिरा गांधी ने इस फैसले को मारने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय से अपील करने की घोषणा की और 25 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी।

क्या थे आपतकाल के प्रभाव??

आपातकाल की घोषणा के पहले ही सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को विपक्षी नेताओं के गिरफ्तारी के आदेश दे दिए गए थे। कैदियों में लगभग सभी प्रमुख सांसद थे। उनकी गिरफ्तारी का उद्देश्य संसद को ऐसा बना देना था कि इंदिरा गांधी जो चाहे कर ले।2 महीने तक पहले हफ्ते में ही करीब 15000 लोगों को कैदी बनाया गया।

आपातकाल के दौरान परिवार नियोजन के लिए अध्यापकों और छोटे कर्मचारियों पर शक्ति की गई ।लोगों का जबर्दस्ती परिवार नियोजन भी किया गया। परिवार नियोजन दिल्ली के सुंदरीकरण के नाम पर अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया गया।

दिल्ली में सैकड़ो घरों को बुलडोजर की मदद से तोड़कर वहां रह रहे लोगों को शहर से 15 20 किलोमीटर दूर पटक दिया उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर सुल्तानपुर और सहारनपुर हरियाणा में पीपली गांव में लाठियों और गोलियां भी चलाई गई।

25 जून 1975 को इंदिरा गांधी सरकार द्वारा आपातकाल की घोषणा की गई थी जिसके तीन दिन बाद ही यानि 28 जून 1975 को राजनीतिक विरोधियों और आंदोलनकारियों को गतिविधियों पर हमला बिठाने के साथ प्रेस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया ब्रिटिश शासन के बाद ऐसा पहली बार हुआ था।

क्यों जरूरी है आपातकाल के सबक को याद रखना?

आपातकाल के उन दो वर्षों के दौरान देश की यह दुखद स्थिति थी भारतीय संविधान और यहां के कानून में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट को ऐसे किसी भी संशोधन की जांच करने से रोक दिया गया था जिसके परिणाम स्वरुप सरकार को भारत के पवित्र संविधान और यहां के लोगों की जिंदगी और उनकी स्वतंत्रता के साथ कुछ भी करने की आजादी मिल गई थी।

 

 

 

 

 

 

 

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Author: Kanchan

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