नोएडा पुलिस ने एक बड़े साइबर अपराध नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए 18 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 2 महिलाएं भी शामिल हैं। यह गिरोह विदेशी नागरिकों, खासकर अमेरिकियों को निशाना बनाकर लाखों रुपये की ठगी कर रहा था। पुलिस ने छापेमारी के दौरान 23 लैपटॉप, 25 हेडसेट, 23 माउस, 27 लैपटॉप चार्जर, 17 मोबाइल फोन, एक पेन ड्राइव और माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर बने फर्जी आईडी कार्ड जब्त किए हैं।
पुलिस के अनुसार, यह गिरोह गूगल ऐप्स के जरिए अमेरिका और अन्य देशों के डेटा वेंडर्स से विदेशी नागरिकों की निजी जानकारी खरीदता था। इसके बाद, वे एक्स-लाइट और आईबीएम जैसे सॉफ्टवेयर का उपयोग कर इंटरनेट कॉल के माध्यम से पीड़ितों से संपर्क करते थे। खुद को माइक्रोसॉफ्ट के तकनीकी विशेषज्ञ बताकर, ये लोग पीड़ितों को उनके कंप्यूटर में वायरस होने का झूठा डर दिखाते थे।
कॉल के दौरान, आरोपी पीड़ितों को टीम व्यूअर और अल्ट्रा व्यूअर जैसे रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए कहते थे, जिसके जरिए वे पीड़ितों के कंप्यूटर पर नियंत्रण हासिल कर लेते थे। इसके बाद, वे कमांड प्रॉम्प्ट खोलकर सिस्टम में हैकिंग या बैंक और क्रेडिट कार्ड की जानकारी चोरी होने का झूठा दावा करते थे। डर और भ्रम की स्थिति पैदा कर, ये लोग पीड़ितों को फर्जी तकनीकी सहायता के लिए भारी रकम भेजने के लिए मजबूर करते थे। भुगतान आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी या ऐप जैसे ज़ेल के जरिए लिया जाता था।
गिरफ्तार किए गए लोगों में ध्रुव अरोड़ा (दिल्ली), आकाश तिवारी (फरीदाबाद), तरुण (राजस्थान), मयूर नायक (राजस्थान), गुरविंदर सिंह (लखीमपुर खीरी), सौरभ चंद्रा (दिल्ली), प्रत्युमन शर्मा (हरियाणा), गौरव जसरोटिया (हिमाचल प्रदेश), कुनाल राजवंशी (देहरादून), दिव्यांश, अपूर्व, मोहम्मद फेजुल, अस्मीत सिंह, हरमनप्रीत, रितु राजपूत और सुकृति शामिल हैं। इनमें से अधिकांश लोग नोएडा के सेक्टर 50 और 116 में किराए के फ्लैटों में रह रहे थे।
नोएडा के डीसीपी (सेंट्रल) शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि यह एक संगठित अपराधी नेटवर्क था, जो तकनीकी विशेषज्ञता और मनोवैज्ञानिक हथकंडों का इस्तेमाल कर विदेशी नागरिकों को ठग रहा था। इस गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब तक फैला हुआ था। पुलिस ने इस मामले में बीएनएस की धारा 319(2) (प्रतिरूपण), 318(4) (धोखाधड़ी), 316(2) (विश्वास का आपराधिक हनन), 338 (जालसाजी), 336(3) (इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जालसाजी), 340(2) (जाली दस्तावेज का उपयोग), 61(2) (आपराधिक साजिश), 111 (संगठित अपराध) और आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह पिछले छह महीनों से सक्रिय था और इसके दो मुख्य सरगना, आकाश तिवारी और आकाश कुमार, अमेरिका में मौजूद एक सहयोगी के साथ मिलकर काम कर रहे थे, जो डेटा और फर्जी ईमेल भेजने का काम करता था। इस मामले में आगे की जांच जारी है, और पुलिस अन्य संदिग्धों की तलाश में है।