गणतंत्र दिवस कवि-सम्मेलन – हिंदी अकादमी, दिल्ली
‘‘दिल्ली देश का दिल और सांस्कृतिक गतिविधियो का केंद्र।’’भारत की भाषाएँ समृद्ध तो राष्ट्रभाषा भी समृद्ध होगी।’’
- हिन्दी अकादमी कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग, दिल्ली द्वारा गणतंत्र महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन हिन्दी भवन सभागार, 11, विष्णु दिगंबर मार्ग, निकट बाल भवन, आई.टी.ओ. नई दिल्ली-110002 में 21 जनवरी को अपराह्न 3.00 बजे से आयोजित किया गया। माननीय उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया उपस्थित हुए। माननीय उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने अपने भाषण में सर्वप्रथम गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दिल्ली देश का दिल है और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केंद्र है। भारत की भाषाएँ समृद्ध तो राष्ट्रभाषा समृद्ध होगी। इस ऐतिहासिक कवि-सम्मेलन का आयोजन निरंतर अकादमी द्वारा किया जाता रहा है। परंतु अपरिहार्य कारणों से ये कवि-सम्मेलन लालकिले के स्थान पर हिंदी भवन में किया जा रहा है। किन्तु भविष्य में इस कवि-सम्मेलन की गरिमा को बनाए रखने के लिए लालकिले पर ही आयोजित किए जाने का प्रयास किया जाएगा। कवि-सम्मेलन की रूपरेखा बताते हुए अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग ने कहा कि गणतन्त्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन गणतंत्र लागू होने के समय से ही चला आ रहा है। और आज इस गौरवमयी क्षण में हम कवि-सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। किन्हीं कारणवश ऐतिहासिक लाल किला परिसर की अपेक्षा इस भवन में किया जा रहा है। हिंदी अकादमी की सभी गतिविधियों पर एक नजर डालते हुए बताया कि भविष्य में हिंदी अकादमी की गतिशीलता के लिए उन्हें हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष श्री स्वानंद किरकिरे उनके मार्गदर्शन में नई-नई योजनाओं पर कार्य करंेगे। कवि-सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में कवि-सम्मेलन श्री सुरेन्द्र शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। डाॅ. प्रवीण शुक्ल के संचालन में भारत के विभिन्न स्थानों से आए कवि/कवयित्रियों द्वारा कवि-सम्मेलन की प्रस्तुति गई गई। जिनमें सुश्री अलका सिन्हा ने सुनो बंदगी से कम नहीं होती है सच्ची आशिकी/ श्री आलोक यादव ने अब न रावण की कृपा का भार ढोना चाहता हूँँ/आज भी जाओ राम मैं मारीच होना चाहता हूँ। डाॅ. कीर्ति काले ने भाई की भुजाओं के शौर्य पर भरोसा है/सरहदों पर बहनों की राखियां बताती हैं, श्री दीपक गुप्ता ने किस्मत विस्मत रस्ते वस्ते सब खुद ही खुल जाते हैं/अगर हमारे दस्तावेजों पर रब की मंजूरी है। श्री प्रवीण शुक्ल ने की कविता आन, मान, सम्मान मिटे, एक एक अरमान मिटे/ जिस भूमि पर जन्म लिया है उस पर ही ये जान मिटे, श्री मंगल नसीम ने महदूर उड़ानों में उड़ लेना, उतर आना/पाले हुए पंछी के पर अपने नहीं होते। श्री महेन्द्र शर्मा ने भारत के नौजवानों का कमाल देखिए/दुनिया में कर रहे हैं ये धमाल देखिए, डाॅ. मालविका हरिओम ने जान कहकर मुझे बेजान बना रखा है/ बोल सकती हूं मगर कान बना रखा है, डाॅ. राजीव राज, श्री विनय कुमार शुक्ला ‘विनम्र’ ने स्वाभिमानी बने पूरा करने सपन/ खुशबू से महकने लगा है चमन, डाॅ. विष्णु सक्सेना ने तपती हुई जमी है जलधर बांटता हूँँ/पतझड़ के रास्तों पर मैं बहार बांटता हूँँ, श्री शहनाज हिन्दुस्तानी ने मैंने पोंछा है सिंदूर धरती की लाज हित/मेरा पुत्र भी बहाने रक्त रण जाएगा। श्री सुरेन्द्र शर्मा व श्री सुनहरी लाल ने मूंगफलियों को भी बादाम समझ खाते हैं/बेर खाकर के छुआरों का मजा लेते हैं आदि कविताओं का पाठ किया। सुधी श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कवि-सम्मेलन का विधिवत् उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ सभी गण्यमान्य अतिथियों, सुप्रसिद्ध कवि श्री सुरेन्द्र शर्मा की अध्यक्षता व हिंदी अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग द्वारा किया गया। कवियों ने अपनी कविताओं से सुधी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने वाली कविताएं सुनाई। और अंत में गणतंत्र दिवस के इस ऐतिहासिक कवि-सम्मेलन के लिए सुप्रसिद्ध कवि श्री सुरेन्द्र शर्मा ने अपना अध्यक्षीय भाषण दिया। कवि-सम्मेलन के अंत में श्री ऋषि कुमार शर्मा, उप सचिव, हिन्दी अकादमी ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में कहा- हम सब यहाँँ 74वें गणतंत्र दिवस का महोत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। और यह केवल एक पर्व ही नहीं सभी देशवासियों का गौरव है। कविता समाज की भाषा और भावना दोनों ही होती है। साथ ही यह हिन्दी भाषा का पोषण भी करती है। इसके साथ ही सभी कवियों, पत्रकारों, साहित्यकारों, विद्यार्थियों व अतिथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आपने अपने कीमती समय देकर इस कवि-सम्मेलन का मान व गौरव बढ़ाया जिसके लिए हम आपके आभारी हैं।