चंडीगढ़
हरियाणा में दुकानों और प्राइवेट कमर्शियल संस्थानों के कर्मचारियों के लिए रोजाना काम के घंटे नौ से बढ़ाकर दस घंटे कर दिए गए हैं. जबकि पहले के नियम के तहत हफ्ते में कुल 48 घंटे की लिमिट रखी गई है. इसको लेकर विधानसभा में एक बिल पास किया गया है. हरियाणा शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टैब्लिशमेंट्स (अमेंडमेंट) बिल, 2025 को हरियाणा शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टैब्लिशमेंट्स एक्ट, 1958 में बदलाव के लिए पास किया गया है.
श्रम मंत्री अनिल विज ने कहा कि इस बिल का मकसद आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा देना है. ऐसे सुधारों के ज़रिए छोटे संस्थानों पर कंप्लायंस का बोझ कम करना है. इसके साथ ही मजदूरों को लगातार सुरक्षा भी देना भी है. लेकिन, कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला इससे सहमत नहीं थे. उन्होंने इसके कुछ प्रावधानों की ओर इशारा करते हुए पूछा कि क्या यह ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस है या ‘आधुनिक गुलामी’ को कानूनी बनाना है.
ओवर टाइम को 50 घंटे से बढ़ाकर 156 घंटे
मंत्री विज ने कहा कि यह बिल मजदूरों और दुकानदारों दोनों के लिए फायदेमंद है और यह मजदूरों के साथ-साथ व्यापारियों के भी हित में है. इसमें हर तिमाही में ओवरटाइम काम की तय सीमा को 50 घंटे से बढ़ाकर 156 घंटे करने का भी प्रावधान है. इससे दुकानें और कमर्शियल प्रतिष्ठान बिज़नेस की ज्यादा मांग को ज्यादा बेहतर तरीके से पूरा कर सकेंगे.उन्होंने कहा कि यह बिल बिना आराम के लगातार काम करने के ज्यादा से ज्यादा समय को पांच से बढ़ाकर छह घंटे करने का भी प्रस्ताव करता है.
परिवार के लिए कितना समय बचेगा?
कांग्रेस नेता आदित्य सुरजेवाला ने इसको लेकर एक संशोधन पेश किया जिसका उनकी पार्टी के विधायकों ने मौजूदा नौ घंटे की सीमा को बनाए रखने के लिए समर्थन किया. फिलहाल, सदन ने ध्वनि मत से इसे खारिज कर दिया. सुरजेवाला ने कहा कि बिल में रोज़ाना काम के घंटे नौ से बढ़ाकर दस करने की बात कही है.
वहीं ओवरटाइम को 50 घंटे से बढ़ाकर 156 घंटे करने का प्रस्ताव है. उनके मुताबिक, हर दिन दो अतिरिक्त घंटे होंगे. उन्होंने कहा कि अब रोजाना 10 घंटे काम और दो घंटे ओवरटाइम लें. अगर किसी शख्स को हफ्ते में छह दिन 12 घंटे काम करना पड़ता है, तो उसके पास अपने या अपने परिवार के लिए कितना समय बचेगा?.सुरजेवाला ने पूछा कि क्या यह बिज़नेस करने में आसानी है या आधुनिक गुलामी को कानूनी बनाना है?
नॉन-कंप्लायंस का डर होगा खत्म
श्रम मंत्री ने सदन को बताया कि छोटे बिज़नेस के लिए कंप्लायंस का बोझ कम करने के लिए किसी भी एस्टैब्लिशमेंट में रजिस्ट्रेशन और बिल के दूसरे रेगुलेटरी प्रोविज़न के लिए कर्मचारियों की थ्रेशहोल्ड लिमिट को ज़ीरो कर्मचारियों से बढ़ाकर 20 या उससे ज़्यादा कर्मचारी करने से रोज़गार पैदा होगा और नॉन-कंप्लायंस का डर खत्म होगा.
श्रम मंत्री ने कहा कि 20 से कम कर्मचारियों वाले एस्टैब्लिशमेंट को अब बिल के तहत रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं होगी, बल्कि उन्हें सिर्फ़ अपने बिज़नेस की जानकारी देनी होगी. पहले हर दुकानदार को रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी था. उन्होंने बताया कि आज भी कर्नाटक जैसे राज्यों में, दुकानदारों को रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है, भले ही उनके पास एक भी कर्मचारी न हो. हालांकि, सुरजेवाला ने दावा किया कि 20 से कम कर्मचारियों वाली 80 प्रतिशत से ज़्यादा दुकानें और एस्टैब्लिशमेंट इस एक्ट के प्रोविज़न से बाहर हो जाएंगे.