सूडान में तख्तापलट के लिए सेना और पैरामिलट्री- रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच 15 अप्रैल से जारी लड़ाई का आज 10वां दिन है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, अब तक 413 लोगों की मौत हो चुकी है। 3,551 लोग घायल हुए हैं।
यहां करीब 4 हजार भारतीय भी फंसे हैं। इन्हें निकालने के लिए विदेश मंत्रालय ने ऑपरेशन कावेरी शुरू कर दिया है। फॉरेन मिनिस्टर एस. जयशंकर ने यह जानकारी सोशल मीडिया पर दी।
जयशंकर ने कहा “सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने का काम शुरू हो चुका है। करीब 500 नागरिकों को पोर्ट सूडान लाया जा चुका है। इनके अलावा कुछ और नागरिक वहां पहुंचने वाले हैं। हमने इसे ऑपरेशन कावेरी नाम दिया है। हमारे शिप और एयरक्राफ्ट भारतीयों को वापस लाने के लिए रेडी हैं। अपने नागरिकों की मदद के लिए हम बिल्कुल तैयार हैं। इसी बीच कई देश सूडान में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। अब तक अमेरिका, ब्रिटेन समेत 9 देशों ने अपने डिप्लोमैट्स को रेस्क्यू कर लिया है।
सूडान को क्यों छोड़ना चाहते हैं लोग ?
यूनाइटेड नेशन्स (UN) के मुताबिक, लड़ाई के चलते की इलाकों में पानी और बिजली की सप्लाई रुक गई है। लोगों को खाने के लिए भोजन भी नहीं मिल रहा है। इसके चलते करीब 20 हजार लोगों ने देश छोड़ दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। इन्होंने पड़ोसी देश चाड में शरण ली है।
अब तक कितनी हताहत के मामले ?
WHO के मुताबिक, सूडान में अब तक 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। 50 से ज्यादा घायल हुए हैं। 11 अस्पतालों पर हमले हो चुके हैं। सूडान की हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, 20 मेडिकल फैसिलिटीज को काफी नुकसान पहुंचा है, जिसके बाद इन्हें बंद कर दिया गया है। 12 अन्य हेल्थ फैसिलिटीज को बंद किया जा सकता है। डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ का कहना है कि लड़ाई के चलते वो लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
सूडान में कितने भारतीय फंसे हैं ?
सूडान में चार हजार भारतीय रहते हैं, जो अब भी फंसे हुए हैं। इस लड़ाई का केंद्र बनी राजधानी खार्तूम में ही भारत के करीब डेढ़ हजार नागरिक रहते हैं। वहीं, सूडानी शहर अल-फशेर में कर्नाटक के हक्की-पिक्की आदिवासी समुदाय के 31 लोग फंसे हैं। ये लोग आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बेचने के लिए सूडान गए थे। इनमें से 19 लोग कर्नाटक के हुनसूर, 7 शिवामोगा और 5 लोग चन्नागिरी के रहने वाले हैं।
सूडान में फंसे भारतीयों में से एक एस. प्रभू ने मंगलवार को इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बात की थी। उसने बताया था कि हम पिछले 4-5 दिनों से एक किराए के मकान में फंसे हुए हैं। हमारे पास खाना या पीने के लिए कुछ भी नहीं है। बाहर से लगातार धमाकों की आवाज आ रही है। यहां कोई हमारी मदद करने को तैयार नहीं है।