लॉ कमीशन की रिपोर्ट:
आंतरिक सुरक्षा के लिए है जरूरी: खत्म नहीं हो देशद्रोह का कानून, सजा 3 साल से बढ़ाकर करें 7 साल:,
देशद्रोह कानून को लेकर जारी बहस को लॉ कमीशन ने गुरुवार (1 जून 2023) को अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंपकर विराम लगा दिया है । लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में 132 साल पुराने इस कानून को कुछ संशोधन के साथ बरकरार रखने की सिफारिश की है। जिसमे सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास तक करने का सुझाव दिया है।
आप को बता दे कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता में 22वाँ विधि आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124A में परिभाषित राजद्रोह कानून को बनाए रखा जाना चाहिए। आयोग ने इस कानून के तहत सजा के प्रावधान को कम-से-कम 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक बढ़ाने की सिफारिश की है।
लॉ कमीशन की इस रिपोर्ट में कहा गया है, “विधि आयोग की 42वीं रिपोर्ट में धारा 124A के लिए सजा को बहुत ‘विषम’ बनाया गया है। यह या तो आजीवन कारावास या केवल तीन साल तक की कैद हो सकती है। इसके बीच में कुछ भी नहीं। न्यूनतम सजा जुर्माना हो सकती है। जबकि एक तुलना IPC के अध्याय VI में दिए गए अपराधों के लिए दिए गए वाक्यों से पता चलता है कि धारा 124A के लिए निर्धारित दंड में स्पष्ट असमानता है। इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि प्रावधान की सजा को अनुरूप लाने के लिए संशोधित किया जाए।”
रिपोर्ट में विधि आयोग ने “धारा 124A को भारतीय दंड संहिता में बनाए रखने की प्रबल जरूरत पर जोर दिया है। हालाँकि इसमे कुछ संशोधन के लिए सुझाव दिए गए है, साथ इसमें केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य के निर्णय को शामिल किया जा सकता है, ताकि प्रावधान के उपयोग के संबंध में और अधिक स्पष्टता लाई जा सके।”
भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने 11 मई 2022 को इसकी वैधता पर निर्णय लेने के बजाय प्रावधान को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने न्यायालय को बताया था कि वह इसकी जाँच करेगी कि धारा 124A को बनाए रखने की आवश्यकता है या नहीं।