एयर होस्टेस आत्महत्या मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला, मुख्य आरोपी गोपाल कांडा बरी

सिरसा से हलोपा के विधायक गोपाल कांडा हमेशा स विवादों में घिरा रहा हैं। लेकिन जमीं से आसमान तक पहुंचने वाली कहावत गोपाल कांडा पर एकदम सटीक बैठती है। मौजूदा समय में कांडा हरियाणा की भाजपा सरकार को अपना समर्थन दे रहे हैं। उनके भाई गोविंद कांडा भाजपा में है और ऐलनाबाद से पार्टी की टिकट पर उपचुनाव लड़ चुके हैं। गोपाल कांडा की हलोपा एनडीए गठबंधन में शामिल है।

एयरलाइंस के मालिक बनने तक का सफर
एक छोटे से दुकानदार से लेकर एयरलाइंस के मालिक बनने तक का गोपाल कांडा का सफर काफी अनोखा रहा है। बताया जाता है कि कांडा ने व्यापार शुरू करने के लिए चंदा तक मांगा था। जानकारी के अनुसार कांडा जूते बनाने का कारोबार करते थे, इसके बाद उन्होंने टीवी रिपेयरिंग और इलेक्ट्रिशियन तक का भी काम किया था।

एयरलाइंस का काम साल 2009 में बंद हो गया
उनका जूते का कारोबार काफी आगे बढ़ा, जिसके बाद उन्होंने 1998 में गुड़गांव में प्रॉपर्टी के कारोबार में कदम रख दिया। इसी के बाद वह कई राजनीतिज्ञों के संपर्क में आए थे। रियल एस्टेट का कारोबार देश के कई शहरों तक फैलने के बाद कांडा ने एयरलाइंस में कदम रखा और उन्होंने गुड़गांव से एमडीएलआर एयरलाइंस की शुरुआत की। इस एयरलाइंस का नाम उन्होंने अपने पिता के नाम मुरलीधर लेखा राम पर रखा था। हालांकि एयरलाइंस का काम साल 2009 में बंद हो गया था।

राजनीतिक करियर
कांडा के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2009 से होती है। इस साल उन्हें इनेलो से टिकट नहीं मिला था, तो उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। वह 6 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीत गए थे। इस जीत ने उनकी तकदीर को बदल दिया और वह राजनीति के किंगमेकर बन गए। इसके बाद से कांडा राजनीति के एक मुख्य चेहरे बन गए। वह हरियाणा में कांग्रेस की गृह राज्य मंत्री बने थे, बाद में वह शहरी निकाय, वाणिज्य और उद्योग मंत्री भी बने।

गीतिका आत्महत्या केस
हालांकि साल 2012 में गीतिका शर्मा मामले के सामने आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। गीतिका उनकी एयरलाइंस में ही एयर होस्टेस थीं। जिन्होंने आत्महत्या कर ली थी। गितिका ने अपने सुसाइड नोट में कहा था कि उन्हें कांडा ने प्रताड़ित किया है, जिससे परेशान होकर वो ये कदम उठा रही हैं। इसके बाद कांडा को गिरफ्तार भी किया गया था लेकिन वह साल 2014 में ही जेल से बाहर भी आ गए। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने लोकहित पार्टी की स्थापना की। उन्होंने साल 2014 में चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह हार गए थे।

Shanu Jha
Author: Shanu Jha

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