भाजपा के संगठनात्मक जिलों में नए जिलाध्यक्षों की घोषणा 15 अगस्त तक हो सकती है। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने में पेंच फंस गया है। प्रदेश नेतृत्व लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक मंथन कर रहा है।
विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा के 98 संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्ष बदलने की चर्चा चल रही है। पार्टी ने जुलाई में सभी जिलों में पर्यवेक्षक भेजकर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए पैनल तैयार कराया है। पैनल में हर जिले से तीन से चार दावेदारों के नाम हैं। लेकिन इन नामों पर क्षेत्रीय अध्यक्षों के साथ मंथन नहीं हुआ है। उच्च स्तर पर हुए विचार में सभी छह क्षेत्रों में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाना जरूरी है। अगड़ी, पिछड़ी और दलित वर्ग की सभी जातियों के साथ महिलाओं को प्रतिनिधित्व भी देना है।
सूत्रों के मुताबिक सभी क्षेत्रों में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने में मशक्कत करनी पड़ रही है। जिन जिलाध्यक्षों के दो से तीन कार्यकाल पूरे हो गए हैं उनका हटना तय है। लेकिन जिन्हें विधानसभा चुनाव से पहले ही मौका मिला था या जिनका एक ही कार्यकाल पूरा हुआ है उन्हें छवि और कार्यशैली के अनुसार दूसरा मौका मिल सकता है। अगले सप्ताह जिलाध्यक्षों की तैनाती को लेकर सभी क्षेत्रीय अध्यक्षों और क्षेत्रीय प्रभारियों के साथ चर्चा होगी। उसके बाद कोर कमेटी में भी पैनल पेश किया जाएगा। जिलाध्यक्षों के नामों का अनंतिम पैनल तैयार कर उस पर राष्ट्रीय नेतृत्व की मंजूरी भी ली जाएगी। ऐसे में 15 अगस्त तक या उसके बाद ही जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा होने की उम्मीद है।