भारत-जापान संबंध: दुश्मनी से दोस्ती तक का सफर

वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका के टैरिफ वृद्धि के फैसले से हलचल मची हुई है। इस उथल-पुथल के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान की यात्रा पर हैं। आज उनके दौरे का दूसरा दिन है और टोक्यो में उनका व्यस्त कार्यक्रम जारी है। आज सुबह उन्होंने जापान की विश्व प्रसिद्ध हाई-स्पीड शिंकानसेन बुलेट ट्रेन की सवारी की। यह दौरा न केवल भारत और जापान के लिए, बल्कि भारत-चीन संबंधों और पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय भारत और जापान कट्टर विरोधी थे? आइए, जानते हैं कि ये दोनों देश कैसे घनिष्ठ मित्र बन गए।

आज भारत और जापान के संबंध विश्व के लिए एक प्रेरणा हैं। दोनों देश न केवल एशिया की प्रमुख आर्थिक शक्तियां हैं, बल्कि रणनीतिक साझेदार भी हैं। हालांकि, इतिहास के पन्नों को खंगालने पर पता चलता है कि एक दौर में दोनों देश एक-दूसरे को शत्रु मानते थे। द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत और जापान के बीच तनावपूर्ण रिश्ते थे।

उस समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, और ब्रिटेन मित्र राष्ट्रों के साथ जापान के खिलाफ युद्ध में था। जापान, धुरी राष्ट्रों का हिस्सा था और 1944-45 में उसकी सेनाओं ने भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में इम्फाल और कोहिमा की लड़ाइयों में हिस्सा लिया। यह भारत और जापान के बीच प्रत्यक्ष टकराव का दौर था। लेकिन इसी दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी आजाद हिंद फौज के लिए जापान से सहायता ली। जापान ने उन्हें सैन्य समर्थन प्रदान किया ताकि भारत ब्रिटिश शासन से मुक्ति पा सके। यह वह पहला अवसर था, जिसने दोनों देशों के बीच विश्वास की नींव डाली।

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार और हिरोशिमा-नागासाकी पर परमाणु हमलों के बाद जापान मुश्किल दौर से गुजर रहा था। इस कठिन समय में भारत ने जापान के प्रति सहानुभूति और उदारता दिखाई। 1949 में टोक्यो ट्रायल के दौरान भारतीय न्यायाधीश राधाबिनोद पाल ने जापानी नेताओं को दंडित करने का विरोध किया। उनके इस निर्णय ने जापानी जनता के मन में भारत के लिए सम्मान और कृतज्ञता का भाव पैदा किया। इसके बाद, 1952 में भारत और जापान के बीच शांति संधि हुई, जिसने औपचारिक राजनयिक संबंधों की शुरुआत की।

इसके बाद जापान ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। दिल्ली मेट्रो जैसी विशाल परियोजनाओं से लेकर मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर तक, जापान ने भारत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में सहयोग किया। आज दोनों देश ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ के तहत एक-दूसरे के साथ जुड़े हैं। रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में दोनों देश एक-दूसरे के मजबूत सहयोगी हैं।

 

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Author: Office Desk

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