बरेली। बरेली में अभिनेत्री दिशा पाटनी के आवास पर हुई फायरिंग की घटना की जांच में पुलिस की दो दिन की कड़ी मेहनत बेकार चली गई। घटना वाले दिन सुबह राजस्थान के भरतपुर से आए एक संदिग्ध कॉल को सुराग मानकर जांच कर रही बरेली पुलिस की विशेष कार्य बल (एसओजी) टीम खाली हाथ लौट आई। पुलिस के मुताबिक, यह कॉल एक सनकी व्यक्ति ने किया था। दूसरी ओर, सुदर्शन पोर्टल के माध्यम से पुलिस ने 33 सोशल मीडिया खातों का पता लगाया है।
घटना का विवरण
12 सितंबर की तड़के करीब 3:30 बजे, बाइक सवार दो हमलावरों ने दिशा पाटनी के बरेली स्थित घर पर गोलीबारी की थी। सीसीटीवी फुटेज में दोनों हमलावर स्पष्ट रूप से दिखाई दिए। सोशल मीडिया पर गोल्डी बरार के सहयोगियों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसके एक दिन पहले, 11 सितंबर को सुबह लगभग 4:30 बजे, हमलावरों ने पाटनी के घर के आसपास फायरिंग की और फरार हो गए।
संदिग्ध कॉल की जांच
घटना वाले दिन सुबह करीब 7 बजे, दिशा पाटनी की मां, पद्मा पाटनी के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। परिवार के अनुसार, कॉल करने वाले ने बताया कि उनका पार्सल पहुंच गया है। रात में हुई फायरिंग से पहले ही डरा हुआ परिवार इस अचानक कॉल से और घबरा गया। जब परिवार ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कोई पार्सल नहीं मंगवाया, तो कॉल करने वाले ने तुरंत फोन काट दिया।
कोतवाली के प्रभारी अमित पांडेय ने बताया कि जगदीश चंद्र पाटनी ने जांच के दौरान इस कॉल की जानकारी दी और वह नंबर पुलिस को उपलब्ध कराया। जांच में पता चला कि नंबर राजस्थान के भरतपुर के एक व्यक्ति का था। उसी दिन राजस्थान के एक अपराधी गिरोह ने हमले की जिम्मेदारी ली, जिससे पुलिस को शक हुआ कि इस नंबर का घटना से कोई नाता हो सकता है। नंबर के चालू रहने से मामला और संदिग्ध लगा। एसओजी तुरंत भरतपुर रवाना हुई, लेकिन वहां पहुंचने पर सच्चाई सामने आई।
सनकी कॉलर की पहचान
पुलिस ने जब संदिग्ध को पकड़ा, तो पता चला कि वह 82 से शुरू होने वाले मोबाइल नंबरों पर रोजाना 30 से 40 कॉल करता था, जिनमें ज्यादातर महिलाओं या युवतियों के नंबर होते थे। वह खुद को डिलीवरी मैन बताकर पार्सल की बात करता और परिचय बढ़ाने की कोशिश करता था। कई बार कॉल रिसीवर के नाराज होने पर वह गाली-गलौज कर कॉल काट देता था। संयोग से दिशा पाटनी की मां का नंबर भी इसी श्रृंखला में था।
आरोपी के खिलाफ कई जगह शिकायतें दर्ज हैं, और उसे पहले भी जेल भेजा जा चुका है। भरतपुर पुलिस की मदद से एसओजी को इस व्यक्ति द्वारा की गई अन्य कॉलों की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मिली। पूछताछ के बाद यह स्पष्ट हो गया कि उसका फायरिंग की घटना से कोई संबंध नहीं था, और एसओजी वापस लौट आई।
सोशल मीडिया जांच
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अनुराग आर्य ने बताया कि सुदर्शन पोर्टल के जरिए पुलिस ने 33 सोशल मीडिया अकाउंट्स का पता लगाया है, जिनमें से कुछ पर संदिग्ध टिप्पणियां की गई थीं। इनमें से ज्यादातर अकाउंट राजस्थान से हैं, जबकि कुछ मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से भी जुड़े हैं। साइबर क्राइम थाना और साइबर सेल अब इन अकाउंट्स के आईपी पते का पता लगाने में जुटी है।
पुलिस इस मामले में सभी संभावित सुरागों की गहन जांच कर रही है। हालांकि, शुरुआती जांच में कॉल करने वाला व्यक्ति सनकी निकला, लेकिन सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच से कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है। पुलिस का कहना है कि वह इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रही है और जल्द ही हमलावरों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।