सरयू राय ने सारंडा विवाद में झारखंड सरकार की लापरवाही पर उठाए सवाल

रांची

झारखंड के जमशेदपुर पश्चिम से विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने सारंडा वन क्षेत्र को वन्य जीव अभयारण्य घोषित करने के मामले में राज्य सरकार की टालमटोल रवैया पर गंभीर सवाल खड़े किए है। राय ने रांची के प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सारंडा सैंक्चुअरी घोषित करने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 17 सितम्बर को एक कड़ा आदेश जारी किया है और कहा है कि झारखण्ड सरकार 07 अक्टूबर, 2025 तक सारंडा वन्यजीव अभयारण्य घोषित करे अन्यथा राज्य के मुख्य सचिव जेल जाने के लिए तैयार रहे।

सरयू राय ने कहा कि इसके पूर्व गत 29 अप्रैल, 2025 को झारखंड सरकार के वन पर्यावरण विभाग के सचिव ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सशरीर उपस्थित हुए थे, अभयारण्य घोषित होने में देरी के लिए क्षमा याचना किया था और कहा था कि झारखण्ड सरकार 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र में अभयारण्य घोषित करेगी और 13603,80 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को ससंगदा बुरू संरक्षण रिजर्व के रूप में अधिसूचित करेगी। परंतु सरकार ने यह वादा पूरा नहीं किया। ज्ञातव्य है कि बिहार सरकार ने 06 फरवरी, 1969 को सारंडा वन क्षेत्र के 314.68 वर्ग किलोमीटर इलाके को गेम सैंक्चुअरी घोषित किया था, जिसका उल्लेख सारंडा वन प्रमंडल के वर्किंग प्लान 1976 में है। उन्होंने कहा कि मैंने इस बारे में विधानसभा में 02 मार्च 2021 को प्रश्न पूछा था, जिसके उत्तर में सरकार ने कहा था कि बिहार सरकार की यह अधिसूचना सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। वहीं राय ने बताया कि झारखण्ड सरकार की एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति सारण्डा वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन करने के लिए सारण्डा गया है। उप समिति द्वारा मंत्रिपरिषद को दिये गये परामर्श के अनुसार ही सरकार सर्वोच्च न्यायालय में आगामी 08 अक्टूबर, 2025 को अपना पक्ष रखेगी।

राय ने कहा कि सारंडा वन क्षेत्र में खनन का इतिहास काफी पुराना है। सबसे पहले बोनाई आयरन कंपनी को घाटकुरी क्षेत्र में 06 दिसम्बर, 1909 को 249.60 और 281.60 एकड़ में आयरन ओर खनन का लीज दिया गया था। इसी तरह 08 दिसम्बर, 1915 तक अंकुवा और घाटकुरी इलाका में इस कंपनी को कुल 2706.16 एकड़ क्षेत्र में आयरन ओर और मैंगनींज के खनन का लीज दिया था। इसके बाद में सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की कतिपय कंपनियों को मिलाकर स्वतंत्रता के पूर्व 11,886 एकड़ अर्थात 4,831.71 हेक्टेयर क्षेत्र में लीज दिया गया था। राय ने बताया कि स्वतंत्रता के उपरांत सार्वजनिक क्षेत्र की कुल 12 कंपनियों को कुल 6,633.30 हेक्टेयर में और निजी क्षेत्र की कुल 30 कंपनियों को 3132.18 हेक्टेयर क्षेत्र में लीज दिया गया था। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियों को 115.46 हेक्टेयर में और निजी क्षेत्र की 5 कंपनियों को 5,128.20 हेक्टेयर क्षेत्र में आयरन ओर और मैंगनींज के खनन का प्रोस्पेक्टिंग लीज दिया गया। वर्ष 2006 के बाद मधु कोड़ा की सरकार में सारंडा क्षेत्र में खनन लीज लेने वालों की बाढ़ आ गई। करीब 65,679.40 हेक्टेयर में माईिंनग लीज के आवेदन आये। इसमें प्राय: सभी आवेदन निजी क्षेत्र की कंपनियों का था। उल्लेखनीय है कि सारण्डा सघन वन का कुल क्षेत्रफल करीब 85,712 हेक्टेयर है।

 

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