दिल्ली में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले है। इस बीच सीलमपुर विधानसभा सीट पर भाजपा को खाता खोलने का इंतजार है। साल 1993 के बाद से हुए किसी भी चुनाव में भाजपा को इस सीट पर जीत हासिल नहीं हुई है। साल 1993 से लेकर साल 2014 तक चौधरी मतीन अहमद ने इस सीट से प्रतिनिधित्व किया था। वहीं, इसमें से तीन बार वह कांग्रेस की टिकट पर जीते थे। साल 2015 और साल 2020 में इस सीट पर सत्ताधारी आम आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है।
इस बार का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। इस सीट से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के चेहरों ने अपना पाला बदल लिया है। वहीं, मौजूदा विधायक अब्दुल रहमान ने टिकट न मिलने से आम आदमी पार्टी से संबध तोड़ लिया है। वहीं, कांग्रेस ने उनको पहली सूची में ही अपना प्रत्याशी बना दिया है। इससे पहले इस सीट पर कांग्रेस से पांच बार विधायक रह चुके मतीन अहमद बीते दिनों आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। आम आदमी पार्टी ने उनके पुत्र जुबैर को इस सीट से उतारा है। इससे यह साफ है कि मतदाताओं के सामने चेहरे वही होंगे, पर उनकी पार्टियां अलग होंगी।
वहीं, भाजपा भी इस सीट पर पहली जीत हासिल करने के लिए दावेदारी पेश करने वाली है। इस नजरीये से सीलमपुर विधानसभा सीट इस बार भी हॉट सीट मानी जा रही है। वहीं, विधानसभा के गठन के बाद 1993 से साल 2013 तक चौधरी मतीन अहमद का दबदबा रहा था। चौधरी मतीन अहमद लगातार पांच बार विधायक रह चुके है।
पहली बार जनता दल से, एक बार निर्दलीय और तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत सुनिशिचित की। साल 2015 में पहली बार यहां सत्ता बदली और आम आदमी पार्टी के हाजी इशराक खान विधायक बने। साल 2020 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अब्दुल रहमान ने भाजपा के कौशल कुमार मिश्रा को हराया था।