हैरान कर देने वाला-दुःखद -अकल्पनीय किन्तु सत्य। 

अपने खुद के इन्साफ के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ रही हैँ महिला को ।

नई दिल्ली। कोई भी इंसान यदि कुछ करने की ठान लेता है तो उसे हासिल करने में पूरी कायनात भी उसकी मदद करती है ऐसी ही एक जीवंत मिसाल है शैली (बदला हुआ नाम), शैली की दास्तान की कवर स्टोरी को दिल्ली अप—टु—डेट समाचार पत्र में 9-15 जनवरी 2019 के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। उस वक्त शैली अकेली खड़ी थी, उस महिला की बेबसी को सरकारों से लेकर विभिन्न विभागों और न्यायालय व आम जनता तक पहुंचाया था  दिल्ली अप—टु—डेट समाचार पत्र ने। जिसके चलते ही शैली की शिकायत पर कार्रवाई हुई और कोर्ट ने मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए न्यायिक प्रक्रिया का रास्ता साफ किया।

एक लंबी जंग के बाद शैली को प्रताड़ित करने वाले के खिलाफ एफआईआर की गई, मुकदमा दर्ज हुआ और कोर्ट में भी कार्रवाई आरंभ हो गई जो जल्द ही पूरी होने वाली भी है। बावजूद इस सबके शैली की मुसीबतें भी कम होने का नाम नहीं ले रही थी, लंदन में चल रहे एक अन्य मुकदमे में दिल्ली की एफ.आई.आर. का रेफरेंस दे दिया गया और लंदन कोर्ट ने भी इस पर शैली का समर्थन ना करते हुए क्रॉस करने की इज़ाज़त दे दी जो नियमों के खिलाफ था, जबकि ब्रिटिश कानून के मुताबिक भी रेप पीड़िता की पहचान को उजागर नहीं किया जा सकता। यूनाइटेड किंगडम के न्याय मंत्रालय में न्याय राज्य सचिव लॉर्ड डेविड वोल्फसन ने भी माना था कि शैली के साथ भारत में जो भी हुआ वो गलत था और उन्होने यह भी स्वीकारा था कि सेंट्रल लंदन काउंटी कोर्ट में आयोजित संबंधित अदालती कार्यवाही के दौरान शैली के साथ गलत व्यवहार किया गया है।

जबकि शैली ने दिल्ली की सत्र न्यायालय में चल रहे मुकदमे की जानकारी लीक किए जाने के खिलाफ पुलिस में शिकायत की तो उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो शैली ने कोर्ट में अर्जी दी तो कोर्ट ने अपनी गलती स्वीकार करने की बजाय उल्टा शैली की पूरी शिकायत के खिलाफ दिए अपने आर्डर को ही कोर्ट की वेबसाइट पर पोस्ट कर दिया। जिसके बाद शैली के समर्थन में तमाम संस्थाओं, लंदन विक्टिम कमिश्नर व लंदन एंबेसी के दखल के बाद कोर्ट ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कोर्ट की वेबसाइट पर पोस्ट किये गए आर्डर को हटा दिया।

हैरानी की बात है कि जिन धाराओं में पीड़िता का नाम तक डिस्क्लोज नहीं किया जाता और गोपनीय तरीके से कोर्ट की कार्रवाई की जाती है ऐसे में पीड़िता को राहत देना तो दूर उनकी पहचान और उनके दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाना अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारतीय न्यायिक व्यवस्था को भी उजागर करता है।

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यहां आपको बता दे कि शैली का दिल्ली में चल रहे संपत्ति विवाद को, द्वारका कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव रहे वाकिल राजेश्वर डागर ही देख रहे थे। इस दौरान वह कई बार शैली से कभी फीस तो कभी अन्य चीजों के नाम पर मोटी रकम लेते रहे और उन्होंने शैली के नाम की जमीन पर भी अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। इस बीच वकील शैली को केस के नाम पर लगातार डराता और धमकाता रहा व शारीरिक संबंध बनाता गया, जिससे परेशान हो कर शैली ने आखिर वर्ष 2019 में अपने ही वकील राजेश्वर डागर के खिलाफ रेप का मामला दर्ज करवाया और जिसकी सुनवाई द्वारका कोर्ट में ही चल रही है। शैली के वकील राजेश्वर डागर द्वारका कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव हुआ करते थे, जिसके चलते शैली को उनके खिलाफ केस लड़ने के लिए कोई दूसरा वकील नहीं मिल पा रहा था और शुरुआती दिनों में कोर्ट की कार्यवाही भी बड़ी धीमी चली।
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भारतीय दंड संहिता में कई धाराएं ऐसी है जिनमें जब मुकदमे दर्ज होते हैं तो उसमें पीड़िता और आरोपियों के ना केवल नामों को गोपनीय रखा जाता है अपितु तमाम कोर्ट की कार्यवाही में भी गोपनीयता का विशेष ध्यान रखा जाता है। ऐसे में शैली के केस में दिल्ली सत्र न्यायालय से इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई?

इसके बाद शैली ने अपने लंदन के सांसद ट्यूलिप सिद्दीक से अदालती कार्यवाही में रेप पीड़ितों के अधिकार के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद के लिए संपर्क किया। जिसके बाद पार्लियामेंट्री अंडर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट लॉर्ड (डेविड) वोल्फसन ने ट्यूलिप सिद्दीक को शेली के अधिकारों का विवरण देते जानकारी प्रदान की और शैली को यह भी अवगत कराया कि वह यूके के न्यायाधीश के खिलाफ न्यायिक आचरण की शिकायत कर सकती है। साथ ही, यूके की विभिन्न एनजीओ ने शैली को न्यायिक शिकायत में अपना समर्थन दिया लेकिन शैली के पक्ष में कोई कार्रवाई नहीं की गई और यहां तक कि शैली को लंदन उच्च न्यायालय में भी न्याय से वंचित रखा गया। यहां आपको बता दे कि मामले की गंभीरता को देखते हुए, सर्वाइवर्स ट्रस्ट यूके की मुख्य कार्यकारी अधिकारी फेय मैक्सटेड ने लॉर्ड चांसलर, न्याय राज्य सचिव, ब्रिटेन के न्याय मंत्री को पत्र लिखकर शैली की शिकायतों का जवाब मांगा और चिंता व्यक्त की कि ब्रिटेन न्याय प्रणाली शैली मामले में कैसे विफल हो गया?

गौरतलब है कि शैली लंदन मे रहने वाली अनिवासी भारतीय है और लंदन की अदालत में चल रहे संपत्ति मामले में शैली के दिल्ली में चल रहे रेप मामले का संदर्भ दिया गया था और द्वारका कोर्ट में चल रहे रेप केस में ब्रिटेन के उच्चायोग ने हस्तक्षेप किया। शैली को अंततः दिल्ली हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और हाई कोर्ट ने शैली को सुरक्षा तक प्रदान करने के आदेश दिए जाने के बावजूद भी द्वारका कोर्ट ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और 6-7 हियरिंग के बाद भी शैली को किसी भी प्रकार की पुलिस सुरक्षा नहीं प्रदान की गई। ऐसे मे साफ है की एक महिला को अपने खुद के इन्साफ के लिए कितनी लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ रही हैँ।

report by Narender Dhawan

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