वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कबीरचौरा स्थित जिला महिला अस्पताल के एमसीएच विंग में सोमवार को जन्मे मात्र दो घंटे के नवजात को गंभीर हालत में बताकर डॉक्टरों ने बीएचयू रेफर कर दिया। नवजात और उसकी मां को एंबुलेंस का इंतजार करने के लिए एमसीएच विंग के मुख्य द्वार पर व्हीलचेयर पर बैठा दिया गया। ऑक्सीजन मास्क पहने नवजात को उसकी मां गोद में लिए गेट पर बैठी रही। लगभग 40 मिनट बाद 102 नंबर की एंबुलेंस पहुंची, जिसके बाद उन्हें बीएचयू ले जाया गया।
जिला महिला अस्पताल परिसर में 100 बेड वाले एमसीएच विंग का निर्माण गर्भवती महिलाओं और नवजातों को एक ही स्थान पर जांच और उपचार की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। सोमवार सुबह करीब 10:05 बजे 30 वर्षीय ममता अपने नवजात को गोद में लिए एमसीएच विंग के प्रवेश द्वार के बाहर व्हीलचेयर पर बैठी थी। पूछताछ करने पर पता चला कि उसी सुबह ममता की डिलीवरी हुई थी। नवजात को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसके कारण डॉक्टरों ने उसे बीएचयू रेफर किया। पहले ममता ने बीएचयू में इलाज कराने में असमर्थता जताई, लेकिन डॉक्टरों के समझाने पर वह तैयार हो गई।
नवजात को सांस की तकलीफ के कारण ऑक्सीजन मास्क लगाया गया और ममता को व्हीलचेयर पर बिठाकर अस्पताल के बाहर लाया गया। नवजात शिशुओं को संक्रमण का खतरा अधिक होता है, लेकिन इस बात की अनदेखी करते हुए एंबुलेंस आने से पहले ही ममता को अपने बच्चे के साथ गेट पर छोड़ दिया गया। करीब 10:45 बजे एंबुलेंस पहुंची। ममता के परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर को सिर पर उठाकर नवजात को एंबुलेंस में लेकर बीएचयू के लिए रवाना हुए।
एंबुलेंस के आने से पहले ममता और नवजात को अस्पताल के बाहर छोड़ने की घटना अत्यंत गंभीर है। इस मामले में जिम्मेदार व्यक्तियों से जवाब मांगा जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कदम उठाए जाएंगे। – प्रितेश सिंह, अस्पताल प्रबंधक, एमसीएच विंग, कबीरचौरा