दिल्ली।
दिल्ली में यमुना नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इस प्राकृतिक आपदा ने स्थानीय लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया। खासकर यमुना बाजार जैसे क्षेत्रों में हालात बद से बदतर हो गए। अब जब नदी का जलस्तर धीरे-धीरे कम होने लगा है, तब पीछे छूटी गाद, रेत और मिट्टी ने लोगों के घरों को कीचड़ और दलदल से भर दिया है।
यमुना के किनारे बसे निचले क्षेत्रों में पानी कम होने के बाद भी यमुना बाजार के निवासियों की मुश्किलें कम नहीं हुईं। लोग कीचड़ और गंदगी से जूझ रहे हैं। लगभग 400 लोग अभी भी मोरी गेट के पास टेंटों में रहने को मजबूर हैं और अपने घरों को साफ करने की कोशिश में जुटे हैं। क्षेत्र में सड़कें नालों और नदियों जैसी हो गई हैं, क्योंकि पानी का स्तर अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हुआ है। जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, दलदल जैसी स्थिति बन रही है और मिट्टी व रेत लोगों के घरों में घुस रही है। बताया जा रहा है कि कई घरों में रेत और मिट्टी की परत छह फीट तक जमा हो चुकी है।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन और सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बाढ़ के बाद जमा हुए रेत और गाद को हटाने के लिए कोई ठोस सहायता नहीं मिल रही है। इसके अलावा, क्षेत्र में सीवर की समस्या भी लगातार बनी हुई है। कुछ समय पहले यमुना के बढ़ते जलस्तर ने निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा किए थे, जिससे लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। कई लोगों का सामान पानी में बह गया। अब, जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, पीछे छूटी मिट्टी और रेत ने घरों को कीचड़ और दलदल से भर दिया है, जिससे लोगों की परेशानियां और बढ़ गई हैं।