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]]>AAP के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने आज ही ऐलान किया था कि कि अगर शाम तक कोई समझौता नहीं हुआ तो उनकी पार्टी सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम जारी कर देगी. हरियाणा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 12 सितंबर है, जबकि मतदान 5 अक्टूबर को होना है. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी 10 सीटों की मांग कर रही थी जबकि कांग्रेस ने पांच सीटों की पेशकश की थी।
गठबंधन के पीछे कारण:
बीजेपी को टक्कर: कांग्रेस और AAP का मानना है कि यह गठबंधन बीजेपी को टक्कर देने में मदद करेगा। बीजेपी ने पिछले दो चुनावों में हरियाणा में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है, और कांग्रेस और AAP का मानना है कि यह गठबंधन बीजेपी के दबदबे को तोड़ सकता है।
राजनीतिक स्थिति में बदलाव: हरियाणा में राजनीतिक स्थिति में काफ़ी बदलाव आया है। कांग्रेस और AAP का मानना है कि यह गठबंधन राज्य की राजनीति में नया दिशा दे सकता है।
आदिवासी मतदाता: हरियाणा में आदिवासी मतदाता एक महत्वपूर्ण शक्ति हैं। कांग्रेस और AAP का मानना है कि यह गठबंधन आदिवासी मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है।
चुनौतियाँ:
दोनों पार्टियों के बीच समझौता: दोनों पार्टियों को अपने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए एक समझौता करना होगा।
सीटों का बंटवारा: दोनों पार्टियों को सीटों का बंटवारा करना होगा जो कि दोनों पक्षों के लिए एक चुनौती हो सकती है।
लोकप्रियता: इस गठबंधन को लोकप्रियता हासिल करने के लिए काफ़ी मेहनत करनी होगी। दोनों पार्टियों को लोगों को अपनी पक्ष में करने के लिए कई प्रयास करने पड़ेंगे।
कांग्रेस और AAP का गठबंधन हरियाणा की राजनीति में एक नया समीकरण बना सकता है। यह गठबंधन बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकता है। यह देखना होगा कि यह गठबंधन कितना कामयाब होता है और हरियाणा की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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