गयाजी
आरोप-प्रत्यारोप के बीच 'वोटर अधिकार यात्रा' के दूसरे दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने महागठबंधन के सहयोगियों के साथ भारतीय जनता पार्टी के सबसे मजबूत दरवाजे (गयाजी) पर दस्तक दे दी। कई जगह छोटी-छोटी जनसभा के बीच उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सीधे निशाना बनाया और चुनाव आयोग को भी आड़े हाथ लिया, लेकिन राहुल के इन भाषणों का गयाजी की जनता पर उतना प्रभाव देखने को नहीं मिला, जितना यह देखा जा रहा था कि यात्रा की भीड़ में टिकटार्थी और समर्थक के लोग कितने हौसले बुलंद कर जयकारा लगा रहे थे। कांग्रेस-राजद के झंडे और बैनर से पूरा यात्रा मार्ग पटा हुआ था। एक से एक होर्डिंग चुनावी दुदुंभी बजा रहे थे, जबकि महागठबंधन के सभी नेता इस बात से वाकिफ थे कि गयाजी भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ है।
गया का सियासी समीकरण
1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जय कुमार पालित विधायक बने। उसके बाद से कांग्रेस ने फिर कभी गया शहरी सीट पर अपना वर्चस्व नहीं कायम किया। जबकि 1985 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पूर्णानंद तरवे 9,213 वोट लाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस के पालित को 34,450 वोट और कम्युनिष्ट पार्टी के शकील अहमद खां को 26,180 मत मिले थे। तीसरे नंबर पर रहने वाली भाजपा ने 1990 के चुनाव में छलांग लगाई और 27,186 वोट लाकर डा. प्रेम कुमार ने विजय पताका फहराया। तब से अब तक भाजपा का विधानसभा में चुनावी रथ लगातार भाग रहा है। कुछ चुनाव में वोटों के प्रतिशत में उतार-चढ़ाव देखा गया है, लेकिन जीत जारी है।
वैसे क्षेत्र में महागठबंधन के कांग्रेस-राजद के बड़े नेता का दस्तक देना एक बड़ी बात है। इस लहजे से कि डबल इंजन की सरकार की कमियों को मतदाताओं के बीच लाकर उनके लाभ की बात करना है। वैसे में महागठबंधन कितना सफल होगा, यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल, महागठबंधन का एक बड़ा चुनावी प्रचार गयाजी की धरती से विदा हो गया। तो गयाजी वासी अब 22 अगस्त को भाजपा के शीर्ष नेता व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन की प्रतीक्षा में हैं।