दिल्ली के रोहिणी जिले की पुलिस ने मानव तस्करी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश करते हुए उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से 15 वर्षीय एक नाबालिग लड़की को सुरक्षित बरामद किया है। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। रोहिणी थाने में 10 अगस्त 2025 को एक परिवार ने शिकायत दर्ज की थी कि उनकी 15 वर्षीय बेटी दोपहर को बाजार जाने के लिए घर से निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी।
रोहिणी के डीसीपी राजेश कुमार ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया, जिसका नेतृत्व एसएचओ रोहिणी और एसीपी विजयपुर ने किया। पीड़िता की जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB), स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB), और मिसिंग पर्सन्स स्क्वॉड को भेजी गई। साथ ही, सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार पत्रों में भी नोटिस जारी किए गए।
पुलिस ने क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच की, जिसमें पीड़िता को रोहिणी सेक्टर-18 बस स्टैंड के पास एक संदिग्ध व्यक्ति के साथ देखा गया। तकनीकी निगरानी और गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस को 18 अगस्त 2025 को जानकारी मिली कि नाबालिग मुजफ्फरनगर के एक गांव में है। स्थानीय पुलिस के सहयोग से छापेमारी कर लड़की को सुरक्षित बरामद किया गया।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मोहम्मद अली (35) निवासी मुजफ्फरनगर, रीना देवी (42) निवासी बागपत, और संजय कुमार (28) निवासी दिल्ली के रूप में हुई है। जांच में खुलासा हुआ कि रीना देवी ने पीड़िता को नौकरी का लालच देकर अपने जाल में फंसाया और उसे मोहम्मद अली को सौंप दिया। अली ने संजय कुमार की मदद से पीड़िता को मुजफ्फरनगर ले जाकर एक स्थानीय गिरोह को बेचने की योजना बनाई थी।
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने पीड़िता का फर्जी पहचान पत्र बनवाया ताकि उसकी उम्र को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा सके। बरामदगी के दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन, फर्जी पहचान पत्र, और कुछ नकदी बरामद की। डीसीपी राजेश कुमार ने बताया कि पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है और उसे उचित परामर्श व पुनर्वास के लिए संबंधित एनजीओ की मदद दी जा रही है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 370 (मानव तस्करी) और POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अन्य संभावित पीड़ितों और इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है।