सामान्य ज्ञान।
इंसानों और जानवरों के शरीर की बनावट और कार्यप्रणाली में काफी समानताएँ हैं। दिल, गुर्दे, फेफड़े और लिवर जैसे अंग दोनों में लगभग एक जैसा काम करते हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि इंसान अपनी तकलीफ को शब्दों में बयां कर सकता है, लेकिन जानवर अपनी पीड़ा को चुपचाप सहते हैं। यही वजह है कि जानवरों की बीमारियाँ अक्सर तब तक पकड़ में नहीं आतीं, जब तक वे गंभीर रूप न ले लें। आइए, जानते हैं कि क्या जानवरों को भी किडनी फेल या हार्ट अटैक जैसी समस्याएँ होती हैं और उनका शारीरिक सिस्टम इंसानों से कितना अलग है।
गुर्दे, यानी किडनी, शरीर के बेहद महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। इंसानों की तरह, जानवरों की किडनी भी कई जरूरी काम करती है, जैसे शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को बाहर निकालना, पानी का संतुलन बनाए रखना, खून में नमक और खनिजों का स्तर नियंत्रित करना, और कुछ महत्वपूर्ण हार्मोन्स का निर्माण करना। जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो इसे क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) या किडनी फेलियर कहा जाता है।
जानवरों में किडनी की बीमारी के शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, जिन्हें आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है। ये लक्षण धीरे-धीरे गंभीर हो सकते हैं। आम लक्षणों में शामिल हैं, जिसमे अत्यधिक प्यास और बार-बार पेशाब करना, भूख में कमी, वजन का धीरे-धीरे कम होना, सुस्ती और थकान, उल्टी या दस्त, किडनी फेल होने के कारण होता हैं।
जैसे-जैसे जानवरों की उम्र बढ़ती है, उनके अंग कमजोर हो सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे इंसानों में होता है। कुछ नस्लों में जन्मजात किडनी की समस्याएँ हो सकती हैं। बैक्टीरिया या अन्य संक्रमण खून के जरिए किडनी तक पहुँच सकते हैं, जिससे किडनी को नुकसान होता है। विषाक्त पदार्थों का संपर्क, डिहाइड्रेशन, या कुछ दवाओं का दुष्प्रभाव भी किडनी को प्रभावित कर सकता है। दिल, चाहे इंसान का हो या जानवर का, शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यह खून को पूरे शरीर में पंप करता है और कोशिकाओं तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुँचाता है। अगर दिल ठीक से काम न करे, तो जानवर की हालत गंभीर हो सकती है।
इंसानों में हार्ट अटैक का मुख्य कारण कोरोनरी धमनियों में रुकावट होता है। जानवरों में भी ऐसी समस्याएँ हो सकती हैं, लेकिन इनका स्वरूप थोड़ा अलग होता है। जानवरों में हार्ट की बीमारियाँ अक्सर बिना स्पष्ट लक्षणों के विकसित होती हैं, और कई बार अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है। दिल की मांसपेशियों का कमजोर होना। दिल के वाल्व में खराबी, जो खून के प्रवाह को प्रभावित करती है। यह दिल पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है। कुछ जानवरों में जन्म से ही दिल की समस्याएँ मौजूद हो सकती हैं।
इंसानों और जानवरों के शरीर के अंगों की कार्यप्रणाली में बहुत सी समानताएँ हैं। दोनों के दिल और किडनी जैसे अंग एक ही तरह के कार्य करते हैं। हालांकि, कुछ अंतर भी हैं। जैसे इंसान अपनी तकलीफ बता सकता है, जबकि जानवरों के लिए यह संभव नहीं। इसीलिए उनकी बीमारियों का पता देर से चलता है। कुछ जानवरों की नस्लों में खास बीमारियाँ ज्यादा आम होती हैं, जो इंसानों में नहीं देखी जातीं। जानवरों के लिए दवाएँ और उपचार इंसानों से अलग हो सकते हैं, क्योंकि उनकी शारीरिक संरचना और चयापचय में थोड़ा अंतर होता है।