चंडीगढ़
पंजाब में आई बाढ़ ने जहां इंसानी जिंदगी पर गहरी चोट की, वहीं पशु-पक्षियों का भी भारी नुकसान हुआ है। आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 59 लोगों की जान जा चुकी है। इसके साथ ही 6,515 पक्षियों और 502 मवेशियों की मौत दर्ज की गई है। राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। सोमवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान सदन में बाढ़ से हुए नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे और प्रभावित लोगों व पशुपालकों के लिए मुआवजे की घोषणा करेंगे। पशुपालन विभाग ने 23 सितंबर तक के नुकसान को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की है। आंकड़ों के मुताबिक, 6,515 पक्षियों की मौत हुई, जिनमें सबसे ज्यादा 5,015 अमृतसर में दर्ज की गईं। पोल्ट्री फार्म सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। वहीं, होशियारपुर में करीब 1,500 पोल्ट्री बर्ड्स की मौत हुई।
मवेशियों पर भी भारी असर
पूरे राज्य में अब तक 502 मवेशी बाढ़ में मारे गए या बह गए। सबसे ज्यादा मार अमृतसर जिले पर पड़ी, जहां अकेले 218 मवेशियों की मौत हुई। इनमें 172 सूअर, सात बैल, 18 बछड़े, 22 बछिया और एक घोड़े की मौत शामिल है। अजनाला सेक्टर में अचानक आई बाढ़ से लोग अपने पशुओं को भी नहीं बचा पाए। गुरदासपुर में 151 मवेशियों की मौत हुई, जो राज्य में दूसरा सबसे ज्यादा नुकसान है। वहीं फिरोजपुर में एक बछड़े और एक हीफर की मौत की पुष्टि हुई है।
महामारी रोकने को टीकाकरण अभियान
बाढ़ प्रभावित इलाकों में महामारी फैलने का खतरा देखते हुए पशुपालन विभाग ने बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू किया है। विभाग के अनुसार शुक्रवार तक पूरे पंजाब में 2.33 लाख से ज्यादा पशुओं को हैमरेजिक सेप्टीसीमिया वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा चुकी है। पशुपालन विकास एवं मत्स्य विभाग के प्रमुख सचिव राहुल भंडारी ने बताया कि लगभग सभी मवेशियों का टीकाकरण कर दिया गया है। अब तक किसी बड़े स्तर पर महामारी जैसी स्थिति सामने नहीं आई है, लेकिन सतर्कता बरती जा रही है।
बीमारियों ने दी दस्तक
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ के बाद पशुओं में कई तरह की बीमारियों के लक्षण सामने आए हैं। इनमें खुरपका, थनों में सूजन, टिक-बॉर्न संक्रमण, त्वचा रोग, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और पोषण की कमी शामिल हैं। हरे चारे की कमी से पाचन संबंधी समस्याएं भी बढ़ रही हैं, जिसका सीधा असर दुग्ध उत्पादन पर पड़ा है।
विधानसभा सत्र में सरकार का जवाब
विशेष सत्र के दौरान विपक्ष राहत कार्यों और मुआवजे पर सवाल उठा सकता है। ऐसे में पशुपालन विभाग की रिपोर्ट सरकार के जवाब का आधार बनेगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान सदन में बाढ़ से हुए नुकसान का ब्योरा देने के साथ-साथ प्रभावित लोगों और पशुपालकों के लिए राहत नीति स्पष्ट करेंगे। बाढ़ ने किसानों और डेयरी कारोबारियों को गहरा आर्थिक झटका दिया है। पोल्ट्री मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अब उनकी नजर विधानसभा सत्र पर टिकी है, जहां सरकार की राहत और मुआवजा नीति साफ होगी।