इंदिरापुरम के प्लॉट 10/2 का विवाद, सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद नक्शा स्वीकृत
Report by: नरेंद्र धवन ।
गाजियाबाद।
उत्तर प्रदेश में भू-माफिया, बिल्डर और अफसरों की सांठगांठ कोई नई बात नहीं है। आए दिन इस तरह के मामले उजागर होते रहते हैं, जिनसे सरकारी तंत्र की साख पर सवाल उठते हैं। अब गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद इंदिरापुरम स्थित एक विवादित प्लॉट का नक्शा अवैध रूप से स्वीकृत कर दिया।
फरवरी 2025 में स्वीकृति, जबकि 2020 में ठुकराया गया था प्रस्ताव
जानकारी के अनुसार, मामला इंदिरापुरम वैभव खंड के प्लॉट संख्या 10/2 से संबंधित है। फरवरी 2025 में GDA ने इस प्लॉट का नक्शा पास कर दिया, जबकि वर्ष 2020 में तत्कालीन मुख्य नगर नियोजक ने शिप्रा इस्टेट लिमिटेड को लिखित रूप से सूचित किया था कि यह प्रकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है। उस समय यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि जब तक मामला न्यायालय में है, किसी भी प्रकार की स्वीकृति संभव नहीं है।
गंभीर सवालों के घेरे में GDA
अब यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि—
- जो नक्शा 2020 में कानूनी अड़चन बताकर खारिज कर दिया गया, उसे फरवरी 2025 में अचानक कैसे मंजूरी दे दी गई?
- क्या 2020 से 2025 तक न्यायालय का आदेश बदल गया था?
- यदि नहीं, तो क्या यह मंजूरी कोर्ट के आदेशों की सीधी अवहेलना नहीं है?
शिकायतकर्ताओं का दावा है कि यह सब GDA अधिकारियों और शिप्रा इस्टेट लिमिटेड की मिलीभगत से हुआ है। आरोप है कि अफसरों ने नियमों की अनदेखी कर बिल्डरों को फायदा पहुँचाने के लिए यह निर्णय लिया।
करोड़ों रुपये का खेल?
विवाद में यह भी सवाल उठ रहा है कि—
- यदि प्लॉट को 2025 में मंजूरी दी जा सकती थी, तो 2020 में बिल्डरों का करोड़ों रुपये का नुकसान क्यों कराया गया?
- कहीं यह सब लाभ और हिस्सेदारी के बंटवारे का खेल तो नहीं था?
उच्चस्तरीय जांच की मांग
यह मामला न केवल GDA की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, बल्कि अधिकारियों की ईमानदारी और निष्ठा पर भी संदेह पैदा करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरोपों में सच्चाई है, तो यह केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं बल्कि एक बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला हो सकता है।
जनता और शिकायतकर्ताओं ने इस मामले की उच्च-स्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग की है। SIT अथवा न्यायिक आयोग के माध्यम से पारदर्शी जांच कराई जानी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।