रोहतक
हरियाणा में कांग्रेस ने बीते साल विधानसभा चुनाव में करारी मात खाई थी। 2009 में आखिरी बार विधानसभा चुनाव जीतने वाली कांग्रेस को लगातार तीन बार हार झेलनी पड़ी है। इसके बाद नेतृत्व को लेकर रस्साकशी हुई तो एक साल बाद ही नेता विपक्ष के तौर पर भूपिंदर सिंह हुड्डा को चुना गया है तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष अहीरवाल बेल्ट के नेता राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। कांग्रेस को लगता है कि इससे उसे भाजपा के गढ़े बने अहीरवाल में सेंध लगाने में मदद मिलेगी, लेकिन इसका उलटा होता दिख रहा है। कैप्टन अजय सिंह यादव ने ही इस फैसले पर सवाल उठा दिए हैं, जो पार्टी के सीनियर लीडर हैं। उनका कहना है कि यह फैसला गलत है और इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है।
कैप्टन अजय यादव ने ट्वीट किया, 'हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के लगातार गिरते ग्राफ को देखते हुए आज लिए गए निर्णय पर पार्टी को आत्म निरीक्षण करने की आवश्यकता है। राहुल गांधी जी की इच्छा थी कि हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष एक ऐसे व्यक्ति को बनाया जाए जिसकी छवि पूरी तरह साफ-सुथरी, बेदाग और युवा नेतृत्व की पहचान रखने वाली हो। लेकिन आज का निर्णय इसके ठीक उलट दिखाई देता है। इस वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं और कैडर का मनोबल बिलकुल गिर गया है।' उनका सीधा इशारा राव नरेंद्र सिंह की ओर है, जिन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिली है।
राव नरेंद्र सिंह के खिलाफ 2016 में दर्ज हुआ था करप्शन का केस
सीनियर लीडर कैप्टन अजय यादव ने यह साफ नहीं किया कि वह क्यों राव नरेंद्र सिंह को साफ-सुथरी छवि का नेता नहीं मानते हैं, लेकिन इसके तार 2016 के एक केस जोड़े जा रहे हैं। दरअसल राव नरेंद्र सिंह पर 2016 में एफआईआर दर्ज हुई थी। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने जमीन का इस्तेमाल बदलने के लिए कैश लिया था। लोक अदालत की जांच के बाद राव नरेंद्र सिंह के खिलाफ केस फाइल हुआ था।
क्यों इतने खफा हैं कैप्टन अजय यादव
माना जा रहा है कि कैप्टन अजय यादव ने इशारों में उसी केस का जिक्र करते हुए राव नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि ओबीसी नेता के नाम पर खुद कैप्टन अजय यादव दावेदारी कर रहे थे। ऐसे में उनकी ही बिरादरी के राव नरेंद्र सिंह को बनाए जाने से वह खफा हैं। उन्हें लगता है कि इससे उनकी अपनी सियासी जमीन भी कमजोर होगी।