कानपुर के चकेरी इलाके में एक ऐसी दिल दहलाने वाली घटना घटी, जिसने हर सुनने वाले को स्तब्ध कर दिया। यह कहानी दो गहरे दोस्तों की थी, जो शुरू में मिसाल थी, लेकिन इसका अंत खून, गंगा की लहरों और पुलिस के सनसनीखेज खुलासे पर हुआ। दरअसल, ऋषिकेश और पवन, चकेरी मोहल्ले के दो जिगरी दोस्त थे। दोनों साथ में घूमते, चाय की टपरी पर लंबी बातें करते, और त्योहारों पर एक-दूसरे के घर आते-जाते। उनकी दोस्ती को मोहल्ले वाले आदर्श मानते थे। मगर यह रिश्ता तब टूटने लगा, जब पवन को किसी अपराध के चलते जेल जाना पड़ा।
जेल से लौटने के बाद पवन को एक ऐसी सच्चाई पता चली, जिसने उसे अंदर तक हिला दिया। उसके सबसे करीबी दोस्त ऋषिकेश ने उसकी बहन के साथ प्रेम संबंध बना लिए थे। यह बात पवन के लिए असहनीय थी। दोस्ती अब नफरत में बदल चुकी थी। पवन ने ठान लिया कि वह इस विश्वासघात को कभी माफ नहीं करेगा। 31 अगस्त की रात को कानपुर गणेश उत्सव की रौनक में डूबा था। ढोल-नगाड़ों और रंगीन रोशनी के बीच पवन ने अपनी बहन और कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक खतरनाक साजिश रची। उसने अपने साथी प्रिंस को आदेश दिया कि वह ऋषिकेश को किसी बहाने से बुलाए। बचपन का दोस्त बुला रहा था, इसलिए ऋषिकेश बिना किसी शक के घर से निकल गया। मगर उसे नहीं पता था कि यह उसकी जिंदगी की आखिरी रात होगी।
सीसीटीवी फुटेज से बाद में पता चला कि प्रिंस, पवन और उनके साथियों ने ऋषिकेश को जबरदस्ती बाइक पर बिठाकर जंगल की ओर ले गए। वहां पहुंचते ही दोस्ती का असली चेहरा सामने आया। सुनसान जंगल में ऋषिकेश को रस्सियों से बांध दिया गया। पवन, उसका भाई बॉबी, और उनके साथी मोगली, निखिल, आकाश, रिशु और अन्य लोग वहां मौजूद थे। हर चेहरे पर गुस्सा और नफरत साफ झलक रही थी। पवन का गुस्सा इतना बेकाबू था कि उसने किसी और को मौका ही नहीं दिया। उसने तेज धार वाले हथियार से ऋषिकेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। इस क्रूर हत्या का वीडियो उसी के फोन में कैद हो गया। यह सिर्फ एक हत्या नहीं थी, बल्कि दोस्ती के विश्वास को तोड़ने और बहन की इज्जत के नाम पर लिया गया खूनी बदला था।
हत्या के बाद शव को एक बोरे में डाला गया। हाथ-पैर बांधकर उसे एक ई-रिक्शा में गंगा के पुल तक ले जाया गया। वहां से शव को गंगा की तेज धारा में फेंक दिया गया। हत्यारों को लगा कि नदी उनके गुनाह को बहा ले जाएगी, लेकिन गंगा ने उनके अपराध को छुपाने से इनकार कर दिया। ऋषिकेश का परिवार उससे संपर्क न होने पर परेशान हो गया। जब खोजबीन से कोई सुराग नहीं मिला, तो उन्होंने पुलिस में हत्या की आशंका जताते हुए शिकायत दर्ज की। चकेरी पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। सीसीटीवी फुटेज की जांच से संदिग्धों के नाम सामने आए।
डीसीपी सत्यजीत गुप्ता के नेतृत्व में कई टीमें बनाई गईं। मोहल्ले के कुछ लड़कों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। निखिल, आकाश और रिशु जैसे साथी पुलिस की सख्ती के सामने टूट गए और पूरी साजिश का खुलासा हो गया। पुलिस को पता चला कि गणेश उत्सव का माहौल सिर्फ एक बहाना था। असल मकसद ऋषिकेश को जंगल में ले जाकर उसकी हत्या करना था। यह कहानी दोस्ती, विश्वासघात और बदले की एक ऐसी दास्तान बन गई, जिसने पूरे कानपुर को झकझोर दिया।