वाशिंगटन
भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में पाकिस्तान को सख्त लहजे में आड़े हाथों लिया और जमकर फटकार लगाई है। भारतीय राजदूत मोहम्मद हुसैन ने बुधवार को जिनेवा में हुई 60वें सत्र की 34वीं बैठक में कहा कि यह विडंबना है कि पाकिस्तान जैसे देश को मानवाधिकारों पर दूसरों को भाषण देने का साहस होता है, जबकि खुद उसके यहां अल्पसंख्यकों का लगातार दमन हो रहा है। हुसैन ने साफ कहा कि पाकिस्तान को प्रचार फैलाने की बजाय अपने घर के हालात सुधारने चाहिए और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों का सामना करना चाहिए।
बैठक के दौरान अन्य वक्ताओं ने भी पाकिस्तान के मानवाधिकार हनन पर सवाल उठाए। भू-राजनीतिक शोधकर्ता जॉश बोव्स ने बलूचिस्तान में कथित उत्पीड़न का मुद्दा उठाया और बताया कि पाकिस्तान नाजुक समुदायों को दबाता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नैतिकता का ढोंग करता है।
उन्होंने बताया कि यूएससीआईआरएफ (USCIRF) की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2025 के अनुसार पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत 700 से अधिक लोग जेल में हैं। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 300% अधिक है। बलूच नेशनल मूवमेंट की मानवाधिकार इकाई पांक के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में ही 785 जबरन गुमशुदगियां और 121 हत्याएं दर्ज की गईं। वहीं पश्तून राष्ट्रीय जिरगा का कहना है कि इस साल तकरीबन 4,000 पश्तून अब भी लापता हैं।
पीओके में बिगड़ता हालात
यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के प्रवक्ता नासिर अजीज खान ने परिषद से अपील की कि पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में दमन की बढ़ती घटनाओं पर हस्तक्षेप किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि क्षेत्र में मानवीय संकट गहराता जा रहा है। कान ने कहा कि पाकिस्तान ने रेंजर्स की तैनाती कर दी है और फोन व इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं ताकि संसाधनों के स्वामित्व और बुनियादी अधिकारों की मांग कर रहे अहिंसक आंदोलन को दबाया जा सके।
इससे पहले जुलाई में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान सरकार को आगाह किया था कि वह अल्पसंख्यकों (विशेषकर अहमदी समुदाय) के खिलाफ बढ़ रही हिंसा, मनमाने ढंग से गिरफ्तारियां और पूजा स्थलों पर हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।