चंडीगढ़
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के मुख्य सचिव, डीजीपी व एडीजीपी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को नोटिस जारी कर 27 अक्तूबर तक जवाब तलब किया है। रामनिवास फिलहाल अंबाला के केंद्रीय जेल में बंद हैं। एसीबी ने सुरजाखेड़ा को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया था। याचिका में बताया गया कि 2015-2019 के बीच हुडा अब एचएसवीपी (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के खाते से करीब 70 करोड़ रुपये की फर्जी डेबिट ट्रांजेक्शन हुईं।
कोर्ट को बताया कि इस मामले में पूर्व विधायक को सीधे तौर पर आरोपी नहीं बनाया गया था बल्कि जांच के दौरान संदिग्ध लेनदेन और बैंक खातों की कड़ियां मिलने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया। एसीबी ने बार-बार पुलिस रिमांड मांगी। हालांकि अदालत ने हर बार रिमांड की अवधि सीमित कर दी और सिर्फ एक या दो दिन की रिमांड ही दी गई। रामनिवास का आरोप है कि उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह गैर-कानूनी तरीके से की गई। उनके अनुसार, पुलिस और एसीबी ने गिरफ्तारी का कोई स्पष्ट और ठोस आधार पेश नहीं किया और सिर्फ सहयोग न करने को आधार बनाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 व 22 के उल्लंघन का हवाला देते हुए कहा गया है कि गिरफ्तारी व रिमांड की कार्यवाही पूरी मनमानी रही। इससे उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और न्यायिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। याचिका में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड संबंधी सभी आदेशों को रद्द कर उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग भी की गई है क्योंकि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद नहीं है। साथ ही इस पूरे मामले को राजनीतिक द्वेष और बदनाम करने की सोची-समझी साजिश बताया गया है।