दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक और रेबीज के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, नगर निगम (एमसीडी), न्यू दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) और नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद के अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रयस्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी परिस्थिति में इन कुत्तों को सड़कों, कॉलोनियों या सार्वजनिक स्थानों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा।
जस्टिस जे.बी. परदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने इस मामले को “अत्यंत गंभीर” बताते हुए कहा कि दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या ने बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। कोर्ट ने यह आदेश 28 जुलाई 2025 को दिल्ली के पूठ कलां इलाके में 6 वर्षीय बच्ची की रेबीज से मृत्यु की खबर पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद दिया। कोर्ट ने कहा, “हमारा उद्देश्य जनहित है। बच्चों और बुजुर्गों को किसी भी कीमत पर रेबीज का शिकार नहीं बनने देना चाहिए।” कोर्ट ने आदेश दिया कि अगले 8 सप्ताह के भीतर कम से कम 5,000 आवारा कुत्तों के लिए आश्रयस्थल बनाए जाएं, जहां नसबंदी और टीकाकरण के लिए पर्याप्त कर्मचारी तैनात किए जाएं। इन आश्रयस्थलों की निगरानी सीसीटीवी के जरिए की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो कि कोई भी कुत्ता वापस सड़कों पर न छोड़ा जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि एक सप्ताह के भीतर एक हेल्पलाइन शुरू की जाए, जिसके जरिए कुत्तों के काटने की शिकायतें तुरंत दर्ज की जाएं। ऐसी शिकायत मिलने पर 4 घंटे के भीतर संबंधित कुत्ते को पकड़ा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत कुत्तों को उसी स्थान पर छोड़ने के नियम की आलोचना की। कोर्ट ने कहा, “यह नियम अव्यवहारिक और तर्कहीन है। कुत्तों को उसी जगह वापस छोड़ने का क्या औचित्य है, जहां से वे पकड़े गए? इससे समस्या का समाधान नहीं होता।” कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली में आवारा कुत्तों की आबादी लगभग 10 लाख होने का अनुमान है, जिनमें से केवल 4.7 लाख की नसबंदी हुई है। इस साल जनवरी से जून तक दिल्ली में 35,000 से अधिक कुत्तों के काटने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 49 रेबीज के मामले सामने आए। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता और स्टॉक की जानकारी सार्वजनिक की जाए ताकि पीड़ितों को तुरंत इलाज मिल सके।
दिल्ली सरकार के पशुपालन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एमसीडी और एनडीएमसी के साथ मिलकर एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है। साथ ही, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कुत्तों के साथ किसी भी तरह की क्रूरता न हो।” हालांकि, पशु अधिकार संगठन पीईटीए ने इस आदेश को “अवैज्ञानिक” और “अप्रभावी” बताया है। पीईटीए की वरिष्ठ निदेशक डॉ. मिनी अरविंदन ने कहा, “10 लाख कुत्तों को आश्रयस्थलों में रखना अव्यवहारिक है। इससे कुत्तों में तनाव और क्षेत्रीय विवाद बढ़ सकते हैं। इसके बजाय, प्रभावी नसबंदी और टीकाकरण पर ध्यान देना चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद निर्धारित की है, जिसमें अधिकारियों को अपनी प्रगति रिपोर्ट सौंपनी होगी। इस बीच, दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को उम्मीद है कि यह आदेश सड़कों को सुरक्षित बनाने में मदद करेगा।