स्नान यात्रा के दौरान गज वेश क्यों धारण करते हैं भगवान जगन्नाथ ? क्या है दूसरी कहानी

उड़ीसा समेत पूरे देश में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का बहुत महत्व होता है. पुरी में आज भगवान की रथ यात्रा का शुभारंभ हो गया है. इस दौरान लाखों भक्तों की भीड़ और जयकारों की गूंज के बीच भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने भव्य रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा के दौरान गज वेश धारण करने के पीछे एक पौराणिक कथा है जो भगवान की भक्ति और प्रेम की शक्ति को दर्शाती है। यह भगवान की विभिन्न रूपों में प्रकट होने की क्षमता को भी दर्शाता है और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है।

भगवान और भक्त की कहानी

एक बार भगवान गणेश का एक भक्त पुरी आया और उसने भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से मना कर दिया, क्योंकि वह केवल भगवान गणेश की पूजा करता था। राजा ने उसे समझाया कि भगवान जगन्नाथ ही सर्वोच्च हैं और सभी देवताओं के स्रोत हैं।

भक्त ने राजा के साथ मंदिर जाने के लिए हामी भर दी और स्नान यात्रा के दिन वह मंदिर में उपस्थित था। जब उसने भगवान जगन्नाथ को देखा, तो उसने हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि यदि आप सचमुच सर्वोच्च हैं, तो मुझे मेरे भगवान गणेश का दिव्य रूप दिखाएं।

उसी वक्त भगवान जगन्नाथ ने उसे गणेश जैसा रूप दिखाया, जिससे भक्त को एहसास हुआ कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम के लिए विभिन्न रूप धारण करते हैं।

हाथी जैसी पोशाक पहनाने का कारण

इस घटना के बाद से भगवान जगन्नाथ को स्नान यात्रा के दिन हाथी जैसी पोशाक पहनाई जाती है, जिसे गज वेश कहा जाता है। यह भगवान की प्रेम और भक्ति की शक्ति को दर्शाता है और भगवान की विभिन्न रूपों में प्रकट होने की क्षमता को भी दर्शाता है।

गज वेश का महत्व

गज वेश भगवान जगन्नाथ की भक्ति और प्रेम की शक्ति को दर्शाता है। यह भगवान की विभिन्न रूपों में प्रकट होने की क्षमता को भी दर्शाता है और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है।

दूसरी कहानी

एक अन्य कथा के अनुसार, स्नान यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को हाथी जैसी पोशाक पहनाई जाती है ताकि वे सुरक्षित रहें और ठंडे पानी के स्नान के कारण ज्यादा बीमार न पड़ें। इस अवधि को ‘अनासरा’ कहा जाता है, जिसमें भगवान 15 दिनों के लिए एकांत में चले जाते हैं।

अनासरा अवधि

अनासरा अवधि के दौरान भगवान जगन्नाथ को विशेष देखभाल और पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवधि में भगवान की विशेष पूजा और आराधना की जाती है ताकि वे जल्द ही अपने भक्तों के सामने प्रकट हो सकें।

 

 

Kajal Prajapati
Author: Kajal Prajapati

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