‘इंडिया से भारत’ क्या है एजुकेशन सिस्टम में बड़े बदलाव की तैयारी या खेली जा रही है राजनीति ?

 

एनसीईआरटी की किताबों में अब इंडिया की जगह भारत का जिक्र होने का दावा किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि एनसीईआरटी की एक कमेटी ने न सिर्फ इंडिया की जगह भारत लिखने की सिफारिश की है, बल्कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने की अनुशंसा की है। अब एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया की जगह भारत होगा या नहीं इसे लेकर सियासत जरूर होने लगी है। कांग्रेस पार्टी ने जहां इसे भारतीय जनता पार्टी की ओर से शिक्षा में सियासत करने का आरोप लगाया है। वहीं कई शिक्षाविदों का कहना है कि अगर शिक्षा प्रणाली को और बेहतर करने के साथ-साथ अगर नाम में भी बदलाव होता है, तो उनको कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि इंडिया और भारत आखिर दोनों एक ही है।

 

अब NCERT की किताबों में बड़ा बदलाव, INDIA की जगह लिखा आएगा “भारत” -  SVNEWS.IN

एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया की जगह भारत का नाम किए जाने को लेकर सियासत अभी से शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ सियासत के मकसद से इस तरीके की अफवाहों और कुतर्को के माध्यम से अपनी बात को आगे रखने की सियासत कर रही है। अखिलेश सिंह कहते हैं कि केंद्र सरकार को अगर इंडिया के नाम से इतनी ही आपत्ति है, तो हर जगह इंडिया बदल दिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार के इशारे पर चलने वाले सरकारी महकमे भी उन्हीं की भाषा में बात कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह कहते हैं कि सिर्फ विवादों को जन्म देना ही भारतीय जनता पार्टी की आदत है, उसी को आगे करने की तैयारी में है।

इंडिया की जगह पर भारत का नाम किए जाने को लेकर अलग-अलग शिक्षाविदों के भी अपने तर्क हैं। नेशनल स्किल एंड एजुकेशन ट्रस्ट की सुनंदा मालवीय कहती हैं कि अगर नाम बदलने के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता को भी और बेहतर तरीके से निखारा जा सकता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उनका कहना है कि इंडिया और भारत तो दोनों एक ही हैं। ऐसे में चाहे किताबों में इंडिया पढ़ाया जाए या भारत, कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला। हालांकि सुनंदा का कहना है कि अगर एनसीईआरटी की किसी कमेटी को एजुकेशन की इस दिशा में रिफॉर्म करने की जरूरत है, तो वह सबसे ज्यादा स्कूली बच्चों के बैग के बोझ को कम करने की है। उनका कहना है कि आप किसी भी प्रणाली से बच्चों की पढ़ाई कराएं, लेकिन बच्चों के स्कूलों के बैग का वजन कम करने की कोई नीति और प्रणाली ही नहीं बन रही है।

इसी तरह इंडिया एजुकेशन सिस्टम एंड रिफॉर्म्स (आईईएसआर) के संयोजक ऋषि तनेजा कहते हैं कि अगर एनसीईआरटी की किताबों से इंडिया की जगह पर भारत का नाम लिखे जाने के प्रस्ताव की मंजूरी मिलती है, तो निश्चित तौर पर यह एक बड़ा प्रभावी कदम हो सकता है। वह कहते हैं कि स्कूलों में शुरुआती दौर से अगर बच्चों को इंडिया की जगह पर भारत शब्द का इस्तेमाल करना सिखाएंगे तो धीरे-धीरे वह भारत ही संबोधन में लाना शुरू कर देंगे। हालांकि उनका कहना है कि इसको सियासी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। वह सुझाव देते हैं कि जहां-जहां पर सिर्फ इंडिया का जिक्र है, वहां पर भारत का भी इस्तेमाल होना चाहिए। चूंकि संवैधानिक रूप से भारत और इंडिया दोनों एक ही हैं, इसलिए किसी एक नाम को रिप्लेसमेंट के तौर पर इसको नहीं देखा जाना चाहिए। अगर किताब में इंडिया और भारत दोनों लिखे होंगे तब भी बेहतर होगा।

एनसीईआरटी के पैनल के सदस्यों में से एक सीआई इस्साक (CI Issac) के मुताबिक यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले रखा गया था। प्रस्ताव के तहत पाठ्यपुस्तकों में “इंडिया” के स्थान पर “भारत” नाम रखने, पाठ्यक्रम में “प्राचीन इतिहास” के बजाय “शास्त्रीय इतिहास” को शामिल करने और भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने का सुझाव दिया गया है। अगर प्रस्ताव स्वीकार होता है तो एनसीईआरटी की नई किताबों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ मुद्रित किया जाएगा। हालांकि, एनसीईआरटी के अधिकारियों ने कहा कि पैनल की सिफारिशों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

समिति के अन्य सदस्यों में आईसीएचआर के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की प्रोफेसर वंदना मिश्रा, डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वसंत शिंदे और हरियाणा के एक सरकारी स्कूल में समाजशास्त्र पढ़ाने वाली ममता यादव शामिल हैं। समिति के अध्यक्ष सीआई इस्साक ने यह भी बताया कि एनसीईआरटी पैनल ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने की सिफारिश की है।

Mehak Bharti
Author: Mehak Bharti

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