दिल्ली जब भी आता हूँ आने से डरता हूँ। यहाँ आते ही खांसी शुरू हो जाती है। यहाँ का प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसके लिए हम सब बहुत कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली के आजू बाजू 60 हज़ार करोड़ रुपए की सड़क भी बना रहे हैं। फिर भी नहीं कह सकता प्रदूषण का क्या होगा। दरअसल दिल्ली को हवा में उड़ने वाली बसों की जरूरत है।
उपरोक्त विचार केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक न्यूज़ पोर्टल का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किए। नयी दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित समारोह में लोकसभा सांसद मनोज तिवारी,दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा,जाने माने कवि सुरेन्द्र शर्मा, अशोक चक्रधर, दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव उमेश सैगल,प्रसिद्द चिकित्सक डॉ ए एस दवे और दिल्ली के विधायक ओमप्रकाश शर्मा और अभय वर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
गडकरी ने कहा कि तकनीक की ताकत से अब हवाई जहाज को भी पानी में उतारने में सफलता पाई जा चुकी है। अब हम मुंबई में बन रहे नए वसई हवाई अड्डे तक पहुँचने के लिए समुन्द्र के रास्ते एक ‘वाटर टैक्सी’ शुरू करेंगे। जिससे सिर्फ 17 मिनट में कहीं से भी हवाई अड्डे पहुंचा जा सकेगा। इससे सड़क पर तो यातायात कम होगा ही साथ ही दस हज़ार लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
आधुनिक तकनीक से समस्याओं के निदान पर गडकरी ने कहा-तकनीक से हम पराली जलने की समस्या को दो-चार साल में दूर कर सकेंगे। हम तकनीक से गाजीपुर की टीकरी से ग्रीन हायड्रोजन बना कर दिल्ली की कारों, बसों और उद्योग को बिना डीजल-पैट्रोल के उस ईंधन से चला सकते हैं। दिल्ली–मेरठ राज मार्ग बनाते हुए मैंने इस काम को करने की कोशिश भी की। लेकिन कचरे की छँटाई की समस्या आड़े आने से वह काम रुक गया। जबकि हम नागपुर में तकनीक से शौचालयों का पानी को बेचकर 300 करोड़ रुपए सालाना कमा रहे हैं।