दिल्ली के नगर निगम के स्कूलों में सुधर लाने के लिए ब्रस्पतिवार को शिक्षा मंत्री आतिशी व मेयर शैली ओबरॉय ने शिक्षा अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की। इसमें आतिशी ने कहा कि बीते 15 सालों से एमसीडी स्कूल बदहाली से जूझ रहे हैं, उनकी बेहतरी पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। अब इन स्कूलों को भी विश्वस्तरीय बनाया जाएगा, ताकि इनमें हर बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन मिले।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि एमसीडी की समीक्षा बैठकों लगातार एमसीडी के स्कूलों की बदहाली उजागर कर रही है। अब हम इन स्कूलों की बेहतरी के लिए काम करेंगे। मेयर शैली ओबरॉय ने कहा कि शिक्षा कभी भी भाजपा की प्राथमिकता नहीं रही। इसलिए अब तक एमसीडी के सैकड़ों स्कूल बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। इनकी बिल्डिंग जर्जर है, फर्श टूटे हुए है, क्लासरूम कबाड़खाना बने हुए है। पीने का पानी नहीं है, शौचालय बदहाल है। एमसीडी का शिक्षा विभाग स्टाफ की भारी कमी से भी जूझ रहा है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि एमसीडी के स्कूलों में 9 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। इनका विकास छात्रों के प्रोफेशनल डेवलपमेंट में मददगार साबित होगा। मेयर ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों के अनुभवों से सीखते हुए ही एमसीडी के स्कूलों में बदलाव लाया जाएगा। यहां डिप्टी मेयर आले मोहम्मद इकबाल भी मौजूद रहे।
एमसीडी के शिक्षा मॉडल में बदलाव लाने के उद्देश्य से महापौर ने सभी स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) के गठन का निर्देश दिया है। इसके अलावा उन्होंने एसएमसी की संरचना और कार्यों को निर्धारित किया। एसएमसी में 16 से कम सदस्य नहीं होंगे। इनमें से 75 फीसदी बच्चों के अभिभावकों और शेष 25 फीसदी सदस्य स्कूल के प्रमुखों, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, स्थानीय प्रतिनिधि होंगे।
महापौर शैली ओबरॉय ने कहा कि स्कूल प्रधानाचार्य एसएमसी के पदेन अध्यक्ष होंगे, वहीं अभिभावकों में से उपाध्यक्ष बनाए जाएंगे। समिति के सदस्य शिक्षक, संयोजक के रूप में कार्य करेंगे। समिति दो महीने में कम से कम एक बार बैठक करेगी। एसएमसी सभी बच्चों के दाखिले-उपस्थिति की भी निगरानी करेगी। स्कूल की जरूरतों और मिड-डे मील कार्यक्रम के कार्यान्वयन में मदद करेगी। इसके गठन को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग की तरफ से सभी एमसीडी स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। अगर चुनाव कराने की आवश्यकता होगी, तो उसके लिए भी गाइडलाइंस जारी की जाएगी।