Delhi के Gandhi Nagar Market से गायब हुए ₹200-₹500 के नोट , व्यापारी परेशान

भारत को करप्सशन मुक्त बनाने व गोरखधंधे पर रोकथाम लगाने के लिए भारत सरकार लगातार सख्त निर्देश लेते हुए दिखाई देती है। हालही में भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा निर्णय लेते हुए बाजार में चल रहे 2000 रूपए के नोट को बंद करने का फैसला लिया। जिसके बाद गवर्नर शक्तिकांता दास का कहना था कि इन नोटों ने जीवनचक्र को पूरा कर लिया है और इनको भारतीय बाजार में लाने का उद्देश्य पूरा हो गया है

उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल लेनदेन में नहीं किया जा रहा है… कोई भी उच्च मूल्य वर्ग का नोट इधर-उधर रह जाता है, उसके पास अन्य कॉलैट्रल इश्यू होते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इन उच्च मूल्य वर्ग के नोटों का इस्तेमाल उन मुद्राओं को तेजी से बदलने के लिए किया गया जिनकी वैध मुद्रा का दर्जा वर्ष 2016 में वापस ले लिया गया था। सरकार ने वर्ष 2016 में एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध बनाकर चलन में मौजूद 86 फीसदी मुद्रा को चलन से बाहर कर दिया था।

हालंकि नोट बंद होने कि बाद दिल्ली उप टूडेट समाचार पत्र की टीम एशिया सबसे पुरानी व होलसेल बाजारों में से एक गाँधी नगर कि अशोक बाजार में व्यापारियों कि पास पहुंच बातचीत दौरान बाजार के

  • प्रधान के के बाली ये नोट बंदी नहीं इसे हम नोटबंदी नहीं मान सकते है जो 2016 में हुई थी वो नोटबंदी थी जिसमे 1000 और 500 के नोट का प्रचलन बंद हो गया था हलकी इसबार ऐसा नहीं है 2000 के नोट का प्रचलन मार्किट में जारी आप जाये कुछ ख़रीदे और 2000 का नोटों किसी भी दुकानदार को दे वो मना नहीं करेगा। तो इसको हम नोटबंदी नहीं कह सकते जब नोटबंदी हुई थी तब लोगो को घंटो घंटो लाइन में खड़े थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। हां जो छोटे व्यापारी है उनको थोड़ी समस्या है हालंकि मैंने अभी तक कोई बैंक के बाहर किसी तरह की भीड़ नहीं देखी। जब भारतीय बाजार में जब 2000 के इसलिए प्रचलन में आये थे की करप्शन कम होगा लेकिन सरकार समझ गयी की जितना बड़ा नोट होता है उतना ही करप्शन बढ़ता है इसलिए वर्ष 2018 से ही 2000 रुपय के प्रिंट को बंद कर दिया था।

  • वही मार्किट के व्यापारी हरजीत सिंह (बिल्ला) जो नोटबंदी पहले हुई थी और जो अब हुई है दोनों अलग है जिस तरह पिछली पर अचानक से नोटबंदी हुई उसमे पब्लिक सड़को पर आ गयी थी हालंकि इसबार लोगो को काफी समय दिया गया है जिससे घबराने की बात नहीं है लेकिन जो वयापारी है वो तंग हो गए है जो 2000 रूपये लेने देने आसानी थी हालकि सोचने वाली बात ये है की एक नोट बनाने में कितना खर्च होता है उसके पेपर से प्रिंटिंग तक पर हर चीज पर पैसा खर्च होगा हालंकि ये सरा पैसा आम जनता का है लेकिन व्यापारी जो है उनका पैसा जो टैक्स के रूप में सरकार को देते है ये उसकी बर्बादी है। हालंकि बाजार में 500 नोट थोड़ा कम हो रहा है। हालंकि करप्सन पर रोक लग जायेगा ये राष्ट्रहित के लिए सही फैसला है लेकिन इसका असर थोड़ा व्यापारियों पर बड़ा है।

  • वही हरीश कुमार सचदेवा और इंद्रजीत सिंह भी मौजूद रहे और सबने अपनी अपनी राय रखी हालंकि पिछली बार की तुलना में लोगो को समस्या कम है। वही RBI ने फैसला लेने के एक दिन बाद ही 2000 के 10 नोटों को बदलवाने की अनुमति दे दी। और बैंककर्मियों को बैंक में जमा होने वाले सभी 2000 के नोटों का लिखित ब्योरा रखने को कहा गया।
Vinayak Kumar
Author: Vinayak Kumar

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