इंफाल। मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है। राज्य के पश्चिमी कांगपोकपी इलाके में रात भर हुई झड़पों के बाद सोमवार को एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और कम से कम 10 लोग घायल हो गए। मणिपुर के पश्चिमी कांगपोकपी इलाके में रात भर हुई झड़पों के बाद कई लोगो कि घायल होने कि आशंका। फेयेंग और सिंगदा गांवों से अंधाधुंध गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं है। अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी कांगपोकपी जिले के कांगचुप इलाके के गांवों और पहाड़ियों को निशाना बनाकर की गई है।
कांगपोकपी में सुबह करीब 3 बजे से 6 बजे के बीच कुछ देर के लिए शांति रही, लेकिन उसके बाद फेयेंग कि आवाज़े सुनाई देने लग गई।
असम राइफल्स दोनों गांवों के बीच एक बफर जोन का प्रबंधन करती है। अधिकारियों ने दोनों पक्षों की ओर से और अधिक लोगों के हताहत होने की संभावना से इनकार नहीं किया और कहा कि गोलीबारी समाप्त होने के बाद ही सही जानकारी का पता लगाया जा सकता है।
3 मई से राज्य में जारी जातीय हिंसा भड़कने में कम से कम 150 लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था, जिसके बाद हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।