मणिपुर की घटना ने देश को शर्मसार कर दिया। प्रधानमंत्री को इस पर बयान देना पड़ा। विपक्ष इसे लेकर सरकार को घेर रहा है, लेकिन यह घटना दिखाती है कि मानव सभ्यता के मामले में हम कितने पीछे हैं। इस संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा के लिए ‘खबरों के खिलाड़ी’ में हमारे साथ वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विनोद अग्निहोत्री, अवधेश कुमार, प्रेम कुमार और गुंजा कपूर मौजूद थे।
प्रेम कुमार
‘प्रधानमंत्री ने जिस तरह से मणिपुर की घटना को कानून व्यवस्था का मामला बताया, ये गलत है। ये जातीय हिंसा, सामूहिक हिंसा, प्रशासन की असफलता का प्रश्न है। वीडियो वायरल होने से पहले मुख्यमंत्री को भी खबर थी और वहां ऐसी कई घटनाएं होने की बात कही जा रही है। भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया। अगर वीडियो वायरल नहीं होता तो शायद सरकार शर्मसार भी नहीं होती। घटना के बाद जो निष्क्रियता है, वह भी राजनीति है।’
अवधेश कुमार
‘इस घटना पर टिप्पणी के लिए शब्द नहीं है। इससे पता चलता है कि मणिपुर के इस संघर्ष में और क्या-क्या हुआ होगा, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। हिंसा जब होती है तो मनुष्य सभी सीमाएं लांघ जाते हैं। मणिपुर में जारी हिंसा में अभी तक सैंकड़ों लोगों की मौत हुई है, 6700 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं, हजारों विस्थापित हुए हैं। बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। ऐसे हालात में सरकार की जिम्मेदारी बनती है। देश में अलगाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इस देश की समस्या ये भी है कि जहां भाजपा सरकार है, वहां की घटनाओं से देश शर्मसार हो जाता है, लेकिन अन्य राज्यों की घटनाओं पर कोई बात नहीं होती। बंगाल में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने भी ऐसी घटना को अंजाम दिया, लेकिन उस पर कोई बात नहीं हुई। मणिपुर में मैतई समुदाय के साथ भी क्या हो रहा है। मैतई में कोई हथियारबंद संगठन नहीं है, लेकिन कुकी जनजाति में हथियारबंद संगठनों का इतिहास रहा है।’