सारी हदों को पार कर पाकिस्तान से भारत आई सीमा हैदर को लेकर हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इसी बीच देश के जाने माने वरिष्ठ वकील एपी सिंह ग्रेटर नोएडा में सीमा-सचिन के घर पहुंचे हैं। जहां उन्होंने दोनों से मुलाकात की है। एपी सिंह ने बीमार सीमा का हाल चाल जाना। सीमा हैदर ने भारत की नागरिकता के लिए देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखी।
सीमा हैदर से मिले वकील एपी सिंह
वरिष्ठ वकील एपी सिंह सीमा हैदर और सचिन मीणा के समर्थन में आ गए हैं। दोनों ही यूपी एटीएस और जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। दोनों से घंटों घंटों पूछताछ हुई। एपी सिंह सीमा हैदर के हक की लड़ाई भारत में उनके लिए लड़ सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह ने सीमा की ओर से राष्ट्रपति के नाम दया याचिका दी है। इसमें भी सीमा के सचिन के प्यार और भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर हिंदू धर्म अपनाने का हवाला दिया। याचिका में साफ तौर पर सीमा ने सचिन की पत्नी बताकर भारतीय नागरिकता की मांग की है। साथ ही उन्होंने अपनी याचिका पाकिस्तान नहीं भेजी है।
सीमा सचिन यहां करना चाहते थे कोर्ट मैरिज
हाल ही में पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर और ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा निवासी सचिन मीणा और सीमा बुलंदशहर जिले में कोर्ट मैरिज करने वाले थे। लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी। रिपोर्ट के मुताबिक, एक साइबर कैफे संचालक ने सीमा हैदर और सचिन मीणा के फर्जी दस्तावेज तैयार करे थे। सचिन के परिजन बुलंदशहर में दोनों की कोर्ट मैरिज कराने की तैयारी में थे। लेकिन वकील ने पाकिस्तानी दस्तावेज होने के कारण कोर्ट मैरिज कराने से साफ मना कर दिया था। जिसकी वजह से दोनों कोर्ट मैरिज नहीं कर सके।
कौन हैं वरिष्ठ वकील एपी सिंह
उत्तर प्रदेश के रहने वाले वरिष्ठ एपी सिंह कई सालों से दिल्ली में रह रहे हैं और वकालत कर रहे हैं। दिल्ली में उनका पूरा परिवार साथ रहता है। साल 2013 में निर्भया के दोषियों का केस एपी सिंह ने लिया था। 7 साल बाद भी दोषियों के पक्ष में कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। निर्भया मामले में दोषियों का केस अंत तक लड़े। कई बार निचली कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक से फटकार खायी।
एपी सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट की पढ़ाई की है। साथ ही डॉक्टरेट की डिग्री भी ली है। साल1997 में सुप्रीम कोर्ट में एपी सिंह ने वकालत शुरू की थी। लेकिन चर्चा में वह तब आए जब उन्होंने 2012 में साकेत कोर्ट में निर्भया के दोषियों की ओर से केस लड़ने का फैसला किया। इसके अलावा आसाराम, गुरमीत राम रहीम, संत रामपाल केस में भी सुर्खियों में रहे।