पुरुष महिलाओ की चिंता नहीं कर सकते हैं? – अमित साह

लोकसभा में बुधवार को हंगामे के बीच एक ऐसा वाक्या हुआ, जिसने सभी का ध्यान खींच लिया। दरअसल, संसद के विशेष सत्र के तीसरे तीन महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा हो रही थी। चर्चा की शुरुआत कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने की। इसके बाद जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे का नाम लिया तो कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य शोर-शराबा करने लगे। विधेयक पर चर्चा में भाग लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशिकांत दुबे जैसे ही खड़े हुए तो विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया और किसी महिला सांसद के नहीं बोलने पर आपत्ति जताई, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि महिलाओं के बारे में भाइयों को भी आगे बढ़कर सोचना चाहिए।

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दरअसल, निचले सदन में ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने की। इसके बाद जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे का नाम लिया और उन्होंने बोलना शुरू किया तो कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य शोर-शराबा करने लगे। विपक्षी दल महिलाओं को अधिकार देने से जुड़े विधेयक पर चर्चा में सत्ता पक्ष के प्रथम वक्ता के रूप में किसी महिला सदस्य को मौका नहीं दिए जाने पर आपत्ति जता रहे थे।

गृह मंत्री शाह ने इस पर कहा कि महिलाओं के बारे में चिंता करने का अधिकार सभी को है। उन्होंने सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का नाम लेते हुए पूछा कि क्या महिलाओं की चिंता केवल महिलाएं ही करेंगी। पुरुष उनकी चिंता नहीं कर सकते हैं? आप किस प्रकार के समाज की रचना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि महिलाओं की चिंता और उनके हित के बारे में आगे बढ़कर भाइयों को सोचना चाहिए और यही इस देश की परंपरा है।

दुबे ने कहा, ‘कांग्रेस या उसके समर्थक दल किस तरह लोकतंत्र का गला घोंटते हैं, मैं इसका उदाहरण हूं।’ उन्होंने कहा कि महिलाओं के कारण ही यहां पुरुष भी हैं। महिलाओं की चिंता क्या सिर्फ महिलाएं ही करेंगी। क्या पुरुष महिलाओं की चिंता नहीं कर पाएंगे। देश इससे आगे बढ़े। आखिर इससे उन्हें क्या आपत्ति है।

 

 

Saumya Mishra
Author: Saumya Mishra

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