अमीर बनने के लिए आपने सुना होगा की लोग अमीर घर में शादी कर लेते है मगर क्या आपने कभी ये सुना है की अमीर बनने के लिए और अमीर लोगो की सम्पत्ति हड़पने के लिए किसी ने 10 शादिया कर ली हो। मामला चौकाने वाला है मगर सच है। गाजियाबाद के मुरादनगर में यूएमआईटी कॉलेज की चेयरपर्सन डॉ. सुधा सिंह की संपत्ति हड़पने के लिए ऐसी ही बड़ी साजिश रची गई। जिसके लिए उनके मंदबुद्धि बेटे का इस्तेमाल किया गया और उससे शादी रचाई गई। आपको बता दे की लूटेरी दुल्हन का नाम प्रीती है और ये उसकी पहली या दूसरी नहीं बल्कि 10वीं शादी है। अमीरजादों की संपत्ति हड़पने के लिए शातिर युवती ने 10 शादियां कर डालीं। और इस बार भी उसके निशाने पर गाजियाबाद में यूआईटी कॉलेज की चेयरपर्सन सुधा सिंह की 200 करोड़ की संपत्ति थी, पर गिरोह के मास्टरमाइंड सचिन की गिरफ्तारी से साजिश विफल हो गई। दरअसल मामला कुछ इस तरह से है की इस पूरी जालसाज़ी को चलाने वाला मास्टरमइंड मसूरी के नूरपुर गांव का निवासी हिस्ट्रीशीटर सचिन है। जिसके गिरोह में नूरपुर की निवासी उसकी बहन प्रवेश, रोहतक की प्रीति और दिल्ली की हरीदास कॉलोनी की नीलम शामिल हैं।ये चारो मिलकर अमीरलोगो की तलाश करते फिर जिनकी शादी किसी वजह से नहीं हो पा रही होती थी उनके घर प्रीती को सहायिका के तौर पर काम पे लगा कर खुद उसके रिश्तेदार बन जाते थे। नीलम प्रीती की मौसी बनकर जाती उनकी शादी कराती थी फिर वे उनकी संपत्ति हड़प लेते थे। और ऐसा ही उन्होंने डॉ सुधा सिंह की संपत्ति हड़पने के लिए भी किया क्योकि उन्हें मालूम था की सुधा सिंह को गंभीर बीमारी है और वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रहेंगी। ऐसे में उन्होंने इस बात का फायदा उठाया और अपनी तैयारियों में लग गए। सचिन की बहन प्रवेश यह जानती थी कि सुधा सिंह अपने मंदबुद्धि बेटे की तरफ से बहुत चिंतित रहती हैं। ऐसे में प्रवेश ने ही जाल बुना। उसने सुधा सिंह से कहा कि वह अच्छी घरेलू सहायिका दिला देगी। जिसके बाद प्रीति ने साजिश को अंजाम देते हुए सुधा सिंह के बेटे से नजदीकी बढ़ाई। मौका पाकर एक दिन अस्पताल के एक कमरे में उसने लड़के के गले में माला डाल दी। उससे अपने गले में माला डालने के लिए कहा। उसने ऐसा ही किया। इस दौरान के फोटो खींचकर रख लिए गए। न ही कोई मंत्र पढ़े गए और न ही फेरे लिए गए, मगर दोनों की शादी हो गई। सुधा सिंह को नहीं बताया गया कि माला डालकर फोटो खिंचवाए गए हैं। उनके बेटे से बार-बार यह कहा जा रहा था कि उसकी शादी प्रीति से हो गई है। सचिन ने इसकी भी तैयारी कर ली थी कि आधार कार्ड, पैन कार्ड में प्रीति का नाम सुधा सिंह के बेटे की पत्नी के रूप में दर्ज कराना है ताकि समय आने पर 200 करोड़ की संपत्ति पर दावा किया जा सके। सुधा सिंह की मौत के बाद उनकी बड़ी बेटी डॉ. आकांक्षा सात अगस्त को घर आईं। इसके बाद उन्हें प्रीति ने शादी की फोटो दिखाई। जिसपर डॉ. आकांक्षा सिंह ने पुलिस में मामले की शिकायत की और शातिरों से जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने तहरीर में एक गनर घर की सुरक्षा और एक गनर उनकी सुरक्षा में तैनात करने की मांग की है। आपको बता दे की डॉ सुधा की कुल संपत्ति की बात की जाय तो गाजियाबाद में उनके दो कॉलेज हैं। इसमें एक कॉलेज मुरादनगर गंगनहर पर 30 बीघे से ज्यादा जमीन पर है वही दूसरा कॉलेज और कॉम्प्लेक्स मोदीनगर कस्बे की प्राइम लोकेशन राज चौपला के पास है। इसकी कुल संपत्ति करीब 200 करोड़ रुपये से ज्यादा बैठती है। इस पुरे मामले में जो एहम बात है की एक सहायिका जिसे घर में काम के लिए रखा जा रहा है उसका सत्यापन न ही पुलिस द्वारा कराया गया और न ही इसकी आवश्यकता ही समझी गई। जबकि कई बार इस तरह के मामले सामने आते है जहा आरोपी सहायक के रूप में रहकर घटना को अंजाम दे देता है। इसलिए जरुरी है की घरेलू सहायक या सहायिका अथवा कार्यालय में कोई सहायक रखने से पहले उसका पुलिस से सत्यापन अवश्य कराया जाना चाहिए। बल्कि इसके लिए तो अब ऑनलाइन फॉर्म भी भरने की सुविधा उपलब्ध है। थोड़ी बहुत लापरवाही ही ऐसे लोगो को प्रोत्साहित और घटनाओ को अंजाम देती है।

 

अमीर बनने के लिए आपने सुना होगा की लोग अमीर घर में शादी कर लेते है मगर क्या आपने कभी ये सुना है की अमीर बनने के लिए और अमीर लोगो की सम्पत्ति हड़पने के लिए किसी ने 10 शादिया कर ली हो। मामला चौकाने वाला है मगर सच है। गाजियाबाद के मुरादनगर में यूएमआईटी कॉलेज की चेयरपर्सन डॉ. सुधा सिंह की संपत्ति हड़पने के लिए ऐसी ही बड़ी साजिश रची गई। जिसके लिए उनके मंदबुद्धि बेटे का इस्तेमाल किया गया और उससे शादी रचाई गई। आपको बता दे की लूटेरी दुल्हन का नाम प्रीती है और ये उसकी पहली या दूसरी नहीं बल्कि 10वीं शादी है। अमीरजादों की संपत्ति हड़पने के लिए शातिर युवती ने 10 शादियां कर डालीं। और इस बार भी उसके निशाने पर गाजियाबाद में यूआईटी कॉलेज की चेयरपर्सन सुधा सिंह की 200 करोड़ की संपत्ति थी, पर गिरोह के मास्टरमाइंड सचिन की गिरफ्तारी से साजिश विफल हो गई।

दरअसल मामला कुछ इस तरह से है की इस पूरी जालसाज़ी को चलाने वाला मास्टरमइंड मसूरी के नूरपुर गांव का निवासी हिस्ट्रीशीटर सचिन है। जिसके गिरोह में नूरपुर की निवासी उसकी बहन प्रवेश, रोहतक की प्रीति और दिल्ली की हरीदास कॉलोनी की नीलम शामिल हैं।ये चारो मिलकर अमीरलोगो की तलाश करते फिर जिनकी शादी किसी वजह से नहीं हो पा रही होती थी उनके घर प्रीती को सहायिका के तौर पर काम पे लगा कर खुद उसके रिश्तेदार बन जाते थे। नीलम प्रीती की मौसी बनकर जाती उनकी शादी कराती थी फिर वे उनकी संपत्ति हड़प लेते थे। और ऐसा ही उन्होंने डॉ सुधा सिंह की संपत्ति हड़पने के लिए भी किया क्योकि उन्हें मालूम था की सुधा सिंह को गंभीर बीमारी है और वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रहेंगी। ऐसे में उन्होंने इस बात का फायदा उठाया और अपनी तैयारियों में लग गए। सचिन की बहन प्रवेश यह जानती थी कि सुधा सिंह अपने मंदबुद्धि बेटे की तरफ से बहुत चिंतित रहती हैं। ऐसे में प्रवेश ने ही जाल बुना। उसने सुधा सिंह से कहा कि वह अच्छी घरेलू सहायिका दिला देगी। जिसके बाद प्रीति ने साजिश को अंजाम देते हुए सुधा सिंह के बेटे से नजदीकी बढ़ाई। मौका पाकर एक दिन अस्पताल के एक कमरे में उसने लड़के के गले में माला डाल दी। उससे अपने गले में माला डालने के लिए कहा। उसने ऐसा ही किया। इस दौरान के फोटो खींचकर रख लिए गए। न ही कोई मंत्र पढ़े गए और न ही फेरे लिए गए, मगर दोनों की शादी हो गई। सुधा सिंह को नहीं बताया गया कि माला डालकर फोटो खिंचवाए गए हैं। उनके बेटे से बार-बार यह कहा जा रहा था कि उसकी शादी प्रीति से हो गई है। सचिन ने इसकी भी तैयारी कर ली थी कि आधार कार्ड, पैन कार्ड में प्रीति का नाम सुधा सिंह के बेटे की पत्नी के रूप में दर्ज कराना है ताकि समय आने पर 200 करोड़ की संपत्ति पर दावा किया जा सके। सुधा सिंह की मौत के बाद उनकी बड़ी बेटी डॉ. आकांक्षा सात अगस्त को घर आईं। इसके बाद उन्हें प्रीति ने शादी की फोटो दिखाई। जिसपर डॉ. आकांक्षा सिंह ने पुलिस में मामले की शिकायत की और शातिरों से जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने तहरीर में एक गनर घर की सुरक्षा और एक गनर उनकी सुरक्षा में तैनात करने की मांग की है। आपको बता दे की डॉ सुधा की कुल संपत्ति की बात की जाय तो गाजियाबाद में उनके दो कॉलेज हैं। इसमें एक कॉलेज मुरादनगर गंगनहर पर 30 बीघे से ज्यादा जमीन पर है वही दूसरा कॉलेज और कॉम्प्लेक्स मोदीनगर कस्बे की प्राइम लोकेशन राज चौपला के पास है। इसकी कुल संपत्ति करीब 200 करोड़ रुपये से ज्यादा बैठती है। इस पुरे मामले में जो एहम बात है की एक सहायिका जिसे घर में काम के लिए रखा जा रहा है उसका सत्यापन न ही पुलिस द्वारा कराया गया और न ही इसकी आवश्यकता ही समझी गई। जबकि कई बार इस तरह के मामले सामने आते है जहा आरोपी सहायक के रूप में रहकर घटना को अंजाम दे देता है। इसलिए जरुरी है की घरेलू सहायक या सहायिका अथवा कार्यालय में कोई सहायक रखने से पहले उसका पुलिस से सत्यापन अवश्य कराया जाना चाहिए। बल्कि इसके लिए तो अब ऑनलाइन फॉर्म भी भरने की सुविधा उपलब्ध है। थोड़ी बहुत लापरवाही ही ऐसे लोगो को प्रोत्साहित और घटनाओ को अंजाम देती है।

Mehak Bharti
Author: Mehak Bharti

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