पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने अपनी ताकत और जज़्बे का लोहा मनवाया है! भारतीय खिलाड़ियों ने अपने असाधारण प्रदर्शन से देश को गौरवान्वित किया है और पदकों की बारिश से पूरा देश गूँज उठा है। भारत इस बार 25 पार के लक्ष्य को लेकर इन खेलों में उतरा था। यह पैरालंपिक हर मायने में भारत के लिए अब तक का सर्वश्रेष्ठ पैरालंपिक साबित हुआ है
पदकों की बारिश:
भारतीय खिलाड़ियों ने पेरिस पैरालंपिक में 29 पदक जीते, जिसमें 7 स्वर्ण,9 रजत, और 13 कांस्य पदक शामिल हैं। यह भारत के लिए पैरालंपिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे पहले भारत ने 2004 एथेंस पैरालंपिक्स में दो, 2012 लंदन पैरालंपिक्स में एक, 2016 रियो पैरालंपिक्स में चार पदक जीते थे। 2004 में भारत 53वें स्थान पर, 2012 में 67वें स्थान पर और 2016 में 43वें स्थान पर रहा था।
खिलाड़ियों का असाधारण प्रदर्शन:
भारतीय खिलाड़ियों ने अपने-अपने खेलों में असाधारण प्रदर्शन किया। अवनि लेखरा से शुरू हुई कहानी नवदीप सिंह के स्वर्ण पर आकर खत्म हुई। पेरिस पैरालंपिक में 84 पैरा एथलीट्स ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।। टोक्यो पैरालंपिक 2020 इससे पहले भारत का सबसे सफल पैरालंपिक रहा था। उसमें भारत ने 54 एथलीट्स भेजे थे और 19 पदक जीतने में कामयाब रहे थे। इनमें पांच स्वर्ण, आठ रजत और छह कांस्य पदक शामिल थे। भारत ने 20वां पदक जीतते ही टोक्यो पैरालंपिक का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इसके अलावा सात स्वर्ण जीतकर भारत ने टोक्यो के पांच स्वर्ण के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। टोक्यो 2020 में भारत की रैंक 24 रही थी, जो कि अब तक का सर्वश्रेष्ठ है। इस बार देश 29 पदकों के साथ 19वें स्थान पर है। उदाहरण के लिए, अवनि लखेरा ने निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीता, मनीष नरवाल ने निशानेबाज़ी में रजत पदक जीता, आदि।
प्रेरणा का स्रोत:
भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ियों का जज़्बा और दृढ़ता देश के प्रेरणा का स्रोत है। ये खिलाड़ी अपनी शारीरिक सीमाओं को पार करते हुए अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं और सबको प्रेरित करते हैं। खिलाडियों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन का श्रेय का सरकार और खेलों के बॉडी को दिया। बताया कि खेल मंत्रालय ने पैरालंपिक खिलाड़ियों को प्रशिक्षण, संसाधन,और आवश्यक सहायता प्रदान करके इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
देश का गौरव:
पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के शानदार प्रदर्शन ने देश का गौरव बढ़ाया है। यह प्रदर्शन यह साबित करता है कि भारतीय खिलाड़ी अपनी क्षमता और जुनून के साथ किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
पैरालंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन ने यह साबित किया है कि खेलों में विकास के लिए ज़रूरी संसाधन और समर्थन देने पर भारतीय खिलाड़ी दुनिया में अपना झंडा गाड़ सकते हैं।