दिल्ली पुलिस ने सुलझाई एक साल पहले हुई महिला मर्डर की गुत्थी

नई दिल्ली। हर अपराधी को हमेशा यहीं लगता हैं कि वे सबसे चतुर हैं और वे अपने अपराधों को आसानी से छुपा सकता है व पुलिस कभी भी उसे पकड़ नहीं सकती और इसी खुशफहमी के चलते अपराधी के हौसले दिन-ब-दिन बढ़ते जाते है और आखिर वो पुलिस के हत्थे चढ़ ही जाता है। दिल्ली पुलिस के नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की टीम ने भी एक ऐसे ही अपराधी को पकड़ा है जिसकी अपराध करने में एक पूरी फेयर लिस्ट बनी हुई है। दिल्ली पुलिस को 16 जनवरी को सूचना मिली कि कुछ लोग एक मारुति बैलेनो कार में अवैध ​हथियारों से लेस है और कमला नेहरू पार्क में पहुंचने वाले है। साथ ही, यह एक महिला की भी हत्या कर चुके है। अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस के छापेमारी दल ने उसी तरह की एक बैलेनो कार को रोका और जिसमें दो युवक मौजूद थे। कार सवार की पहचान गाजियाबाद के साहिबाबाद के रहने वाले मो. शाकिर अली उर्फ समीर उर्फ राजेश के रूप में हुई और तलाशी में पुलिस को उसके कब्जे से एक देशी पिस्टल व दो जिंदा कारतूस मिले। वहीं दूसरे युवक की पहचान मो. फैज उर्फ फैजान के रूप में हुई है और पुलिस को उसके कब्जे से 2 जिंदा कारतूस बरामद हुए है।

पुलिस पूछताछ में मो. शाकिर अली उर्फ समीर ने बताया कि वह ही उक्त वाहन का मालिक है और समय से किश्तें नहीं देने के चलते उसने वाहन के चोरी होने की झूठी प्राथमिकी थाना शास्त्री पार्क में दर्ज कराई थी और रिकवरी एजेंटों से बचने के लिए उसने अपनी गाड़ी में नकली नंबर प्लेट लगा ली थी। पुलिस ने इंजन नंबर की जांच की और पुलिस को कार के बूट स्पेस से कार की असली नंबर प्लेट मिली। जांच के दौरान आरोपी मो. शाकिर अली उर्फ समीर ने बताया कि वह दर्जी और प्रापर्टी ब्रोकर का काम करता था और उसने हाल ही में नेपाल की जेल से रिहा हुए प्रसिद्ध फ्रांसीसी हत्यारे चार्ल्स शोभराज पर आधारित एक फिल्म देखी थी और जैसे चार्ल्स शोभराज अपने फायदे के लिए महिलाओं का इस्तेमाल करता था वह भी उसके नक्शे कदम पर चलने लगा। मो. शाकिर अली उर्फ समीर ने पुलिस को बताया कि वह दिल्ली के लक्ष्मी नगर की एक वेश्या से परिचित हो गया और उसने उसके दलाल के रूप में काम करना भी शुरू कर दिया था और अपने वित्तीय लेनदेन के लिए उसके धन का उपयोग भी करने लगा था। साथ ही, उसने अपनी एक नकली हिंदू पहचान भी बना ली थी और जिसके चलते वह 2-3 महिलाओं के और संपर्क में आया और उन्हें अपने आर्थिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने लगा। मो. शाकिर ने अपनी मूल पहचान छिपाई और खुद को राजेश के रूप में पेश करने लगा। इसके लिए उसने एसडीएम कार्यालय से राजेश (पिता का नाम राकेश) से फर्जी वोटर आईडी कार्ड भी बनवाया और उसी नाम से पैन कार्ड बनवाकर बैंक में भी खाता खुलवा लिया था।

मो. शाकिर अली ने पुलिस को यह भी बताया कि किराए पर फ्लैट लेने के लिए उसने इसी फर्जी वोटर कार्ड का इस्तेमाल किया क्योंकि हिंदू पहचान पर फ्लैट मिलना उसके लिए आसान था। उसने कई महिलाओं के साथ मित्रता करने के लिए नकली हिंदू पहचान का भी इस्तेमाल किया। मो. शाकिर अली ने राजेश के नाम से एक स्कूटी भी खरीदी और स्कूटी की ईएमआई डिफॉल्ट कर रिकवरी एजेंटों से बचने के लिए चोरी की झूठी प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। यहां तक कि उसने अधिवक्ता की मिलीभगत से राजेश के नाम पर अदालत में कई आरोपियों के लिए झूठा जमानत भी दिया था। बीच में उसने एक मारुति बलेनो कार खरीदी और ईएमआई डिफॉल्ट कर चोरी की झूठी प्राथमिकी दर्ज करा दी। उसने पुलिस को बताया कि उसके हौसले और बुलंद होते गए और फिर उसकी मुलाकात सुशीलवती से हुई, जो डीएलएफ में अपना फ्लैट बेचना चाहती थी। इस दौरान उसकी सुशीलवती से अच्छी दोस्ती हो गई और दोनों के बीच फ्लैट बिक्री के लिए 25 लाख रुपये का समझौता हो गया था, जिसके लिए मो. शाकिर ने उसे 1.5 लाख रुपये भुगतान के रूप में दिए थे। इस दौरान आरोपी मो. शाकिर ने महिला को शेष भुगतान दिए बिना ही उसके फ्लैट पर कब्जा कर लिया।

इस बीच मो. शाकिर को सुशीलवती की कई अन्य संपत्तियों के बारे में पता चला और उसकी संपत्ति हड़पने और डीएलएफ फ्लैट के भुगतान से बचने के लिए सुशीलवती की हत्या की योजना बनाने लगा। उसने फ्लैट के अंतिम भुगतान के लिए सुशीलवती को बुलाया और उसे शामक कोल्ड ड्रिंक पिलाई, जिसके बाद वह और उसका सहयोगी फैज़ उसे बुलंदशहर ले गए जहाँ फैज़ ने पहले सुशीलवती पर गोली चलाई जिसके बाद मो. शाकिर अली ने दूसरी गोली चलाई। उन्होंने उसके शव को बुलंदशहर के एक खेत में फेंक दिया और दिल्ली लौट आए। मो. शाकिर अली ने डीएलएफ के फ्लैट से सुशीलवती का कुछ सामान भी निकाल लिया और उसे लोनी में कहीं रख दिया जहां से सुशीलवती की संपत्ति के कुछ अन्य मूल दस्तावेज मिले। बीच-बीच में पुलिस ने उससे सुशीलवती के लापता होने के संबंध में भी पूछताछ की, लेकिन वह चतुराई से पुलिस की सभी पूछताछ से बचता चला गया।

आखिरकार आरोपी मो. शाकिर अली को बुलंदशहर ले जाया गया जहां उसने उस जगह की पहचान की जहां उसने सुशीलवती को गोली मारी और उसके शरीर को फेंक दिया था। संबंधित थाना छोला जिला बुलंदशहर के अधिकार क्षेत्र से पूछताछ करने पर पता चला कि गोली लगने से घायल अज्ञात महिला का शव उसी स्थान पर पाया गया था और बाद में मृत की पहचान सुशीलवती के शव के रूप में हुई।

Vinayak Kumar
Author: Vinayak Kumar

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