Supreme Court ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से कहा कि जज से न्यायिक जिम्मेदारियां वापस ली जाएं और उन्हें अपनी स्किल में सुधार करने के लिए न्यायिक अकादमी भेजा जाए.
Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को जमानत नहीं देने पर एक सेशन जज को सजा दी है. सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से कहा कि जज से न्यायिक जिम्मेदारियां वापस ली जाएं और उन्हें अपनी स्किल में सुधार करने के लिए न्यायिक अकादमी भेजा जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को चेतावनी दी थी कि अगर कोई बार-बार ऐसे फैसले सुनाता है तो उससे न्यायिक काम की जिम्मेदारी ले ली जाएगी और उसे न्यायिक अकादमी भेज दिया जाएगा. जस्टिस संजय किशन कौल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच को बताया गया था कि जज निर्देशों का पलन नहीं कर रहे हैं. न्याय मित्र के तौर पर अदालत का सहयोग कर रहे एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने दो ऐसे मामले कोर्ट के सामने रखे थे, जिसमें जमानत के आदेश नहीं दिए गए थे.
एक केस शादी से जुड़े विवाद का था. लखनऊ के सेशल जज ने आरोपी और उसकी मां की याचिका पर उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था, जबकि उनकी गिरफ्तारी भी नहीं हुई थी. वहीं, दूसरे मामले में एक आरोपी कैंसर पीड़ित था और गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था.
इन केसों पर निराशा जताते हुए बेंच ने कहा कि ऐसे बहुत सारे आदेश पारित किए जाते हैं जो कि हमारे आदेशों से मेल नहीं खाते. बेंच ने कहा कि कोर्ट में कानून के आधार पर फैसले सुनाए जाते हैं और उसका पालन करना जरूरी है. उत्तर प्रदेश में हालत बहुत खतरनाक है. 10 महीने पहले भी फैसला देने के बाद भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है.