राष्ट्रपति भवन के सामने सेंट्रल रिज एरिया में स्थित मालचा महल ने अपनी शुरुआत के कुछ दिन बाद ही लोगों को लुभाना शुरू कर दिया है। हाल ही में हॉन्टेड हाउस नाम से शुरू किया गया ऐतिहासिक स्मारक मालचा महल लोगों को आकर्षित करने लगा है।
देश ही नहीं, विदेशी पर्यटक भी भूतिया महल की कहानी सुनने व इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। महल को देखने आने वाले युवाओं में खासा उत्साह है। चाणक्यपुरी स्थित इस महल में जाने के लिए उबड़-खाबड़ मार्ग से गुजरकर रास्ता तय करना पड़ता है। चारों ओर जंगल व बीच रास्ते में सियार, बंदर, बिल्ली, गाय व चमगादड़ दिखाए देते हैं।
इसी रास्ते से होकर कंटीली घनी झाड़ियों के बीच में यह महल है। पर्यटकों को दूर से ही यह स्मारक भूतिया होने की अनुभूति कराता है। इसके अंदर जाते ही इसमें पसरा अंधेरा डराने वाला होता है। बता दें सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने 1325 में इस महल को अपने शिकारगाह के लिए बनवाया था।
अवध के नवाब के शाही परिवार का सदस्य होने का दावा करने वाली महिला बेगम विलायत महल 1985 में अपने परिवार के साथ यहां रहने लगीं, इसके बाद इस जगह को विलायत महल के नाम से जाना जाने लगा। दिल्ली टूरिज्म टूरिज्म ट्रांसपोर्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डीटीटीडीसी) ने यहां हुई घटनाओं के चलते इसे हॉन्टेड हाउस माना है।
हालांकि, महल की जर्जर हालत देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कभी यहां कोई रहा होगा। इसी जर्जर महल में उनके बाद इनके परिवार के अन्य लोगों की भी यहीं एक-एक कर मौत हो गई। इस परिवार की अंतिम मौत विलायत महल के बेटे अली रजा की वर्ष 2017 में हुई।
उसके बाद से यह जगह सुनसान है। यहां न कोई खिड़की है, न बिजली न पानी की कोई व्यवस्था। केवल एक दरवाजा और एक गलियारा है, जहां से सूरज की रोशनी और हवा अंदर आती है। लोगों का मनाना है कि यहां से शाम के समय डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं।