बुजुर्गों में होने वाले अल्जाइमर रोग की पहचान खून की जांच से हो सकेगी। एम्स के जैव भौतिकी विभाग ने वृद्धावस्था चिकित्सा और न्यूरोलॉजी विभाग के सहयोग से अल्जाइमर रोग के शुरुआती निदान के लिए डायग्नोस्टिक ब्लड प्रोटीन की खोज की है।
इसकी मदद से पता चल जाएगा कि बुजुर्ग में अल्जाइमर रोग है या नहीं। अगर शुरू होने वाले हैं तो इसके लक्षण का भी इस जांच से पता चल जाएगा। इस शोध के लिए एम्स ने वृद्धावस्था चिकित्सा विभाग में आने वाले 100 से अधिक बुजुर्गों का चयन किया।
करीब तीन साल के शोध काल में इनके ब्लड सैंपल लिए गए और जांच की गई। जांच के दौरान अल्जाइमर रोग के रक्त में सिर्टुइन नामक एक नए प्रोटीन की पहचान की है जो समय के साथ रोगी में धीरे-धीरे कम होता है और शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
इस जांच में सिर्टुइन प्रोटीन की मदद से अल्जाइमर रोग की पहचान हो सकी। इस बारे में एम्स के बाॅयोफिजिक्स विभाग की प्रोफेसर डॉ. शर्मिष्ठा डे ने बताया कि इस शोध से देश में लाखों बुजुर्गों को राहत मिलेगी। अब तक मस्तिष्क मेरु द्रव (सीएसएफ जांच) की जांच से अल्जाइमर का पता लगाया जाता है, जो काफी देर होने के बाद परिणाम देता है।
नई विधि में किया इसका इस्तेमाल
खून की जांच से अल्जाइमर की पहचान की विधि में कई जैविक अणु की जांच की गई जो अल्जाइमर रोग के पैथोफिजियोलॉजी में भूमिका निभाते हैं। यह अल्जाइमर के लिए कारण हो सकते हैं। ब्लड में प्रोटीन मार्कर की पहचान करना सीएफएफ जांच की तुलना में ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं। रक्त को बुजुर्ग रोगी में आसानी से लिया जा सकता है। जबकि सीएसएफ के लिए बुजुर्ग मरीजों की रीढ़ की हड्डी से द्रव लेना काफी मुश्किल होता है।