Uphaar Cinema Fire Tragedy : दिल्ली के अग्निकांड की एक ऐसी घटना जिसने सबको दहला के रख दिया,जानिए क्या है उपहार सिनेमा कांड की वो दर्दनाक सच्चाई

13 जून 1997 वो तारीख है जिसे आज भी कई लोग भूल नहीं पाए है ,भले ही उपहार सिनेमा अग्निकांड को 26 साल हो चुके है लेकिन आज भी इस दिन की वो दर्दनाक घटना सबके जहन में मौजूद है।

क्या है उपहार सिनेमा अग्निकांड ?

Delhi Uphaar Cinema Catch Fire Again Department Douse The Fire | दिल्ली के उपहार  सिनेमा में आज फिर लगी आग, 25 साल पहले हुए भीषण अग्निकांड का जख्म अभी भी हरा

उपहार सिनेमा अग्निकांड में कई लोग जोकिं बड़े ही ख़ुशी के साथ मूवी देखने गए थे और किसी ने सोचा भी नहीं था की ये शाम उनकी ज़िन्दगी की आखिरी शाम हो जाएगी।
13 जून की शाम को लोग अपने परिवार और करीबियों के साथ दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में बॉर्डर फिल्म देखने गए थे। उपहार सिनेमा हॉल उन दिनों शहर का सबसे पॉपुलर सिनेमा हॉल हुआ करता था । रिलीज वाले दिन ही फिल्‍म हाउसफुल थी. शो शुरू होने से पहले ही सारी टिकटें बिक चुकी थीं। साढ़े 3 बजे का शो था। तक़रीबन 2 घंटे बाद हॉल में आग लग गई। आग इतनी भीषण थी की इस त्रासदी में 59 लोगो की मौत हो गयी वहीँ 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

सिनेमा हॉल में आग लगने के बाद लाइट की सप्लाई बंद कर दी गई ,जिससे पुरे हॉल में अँधेरा छा गया इससे लोग हॉल से बाहर निकलने का रास्ता नहीं ढूंढ पाई और आग के चंगुल में फंस गए।

कई बच्चे और महिलाओं ने गवाई थी अपनी जान

उपहार सिनेमा: AC से आने लगा जहरीला धुआं, ऐसा था फिल्म देखने वालों की  दर्दनाक मौत का मंजर – News18 हिंदी
दरअसल शो के दौरान सिनेमाघर के ट्रांसफॉर्मर कक्ष में आग गई जो तेज़ी से अन्य हिस्सों में फ़ैल गयी ,जिसमे 59 लोगों की मौत हो गयी थी। इनमे करीब 23 बच्चे और कई महिलाएं शामिल थी। साथ ही 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
सबसे दर्दनाक दृश्‍य रहा ऊपर बालकनी वाले हिस्‍से का, जिसे हॉल के प्रबंधकों ने बंद करके बाहर से ताला लगा दिया था. बालकनी में बैठे लोग भाग नहीं पाए और आग के धुंए में घुटने के कारण उनकी मौत हो गई.

कहाँ हुई लापरवाही ?
घटना की जांच के दौरान पता चला की सिनेमा हॉल में आग से सुरक्षित बचने के लिए पुख्ता इंतज़ाम मौजूद नहीं थे।
जांच में यह भी पता चला की जब आग के वक़्त सिनेमा हॉल की लाइट चली गई तब उस वक़्त हॉल में एग्जिट लाइट और इमरजेंसी लाइट भी नहीं थी जिससे लोग सुरक्षित बाहर निकल पाते और अपने आप को वक़्त रहते बचा लेते।
जिस वक़्त ये हादसा हुआ तब लोगों को आग लगने के बारे में सूचित भी नहीं किया गया था।
जांच के दौरान एक और मुख्य कारण सामने आया है जिसमे पता चला की कुछ एग्जिट गेट को ज्यादा सीटों की वजह से ब्लॉक कर दिया गया था और बालकनी में बैठकर मूवी देखने वाले लोग लॉबी में इसलिए भी नहीं पहुंच पाई क्योंकि मुख्या एग्जिट गेट को फिल्म शुरू होते ही ब्लॉक कर दिया गया था।

इन्साफ के लिए 25 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी

उपहार अग्निकांड में मरे लोगों के परिजनों ने मिलकर एक एसोसिएशन बनाई, जिसका नाम था द एसोसिएशन ऑफ विक्टिम्‍स ऑफ उपहार फायर ट्रेजेडी (The Association of Victims of Uphaar Fire Tragedy).
उपहार सिनेमा ट्रेजेडी के शिकार लोगों ने दिल्‍ली के सबसे ताकतवर बिल्‍डर के खिलाफ 25 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी.

मामला अदालत पहुंचा. हॉल में काम करने वाले स्टाफ, सेफ्टी इंस्टपेक्टर से लेकर मालिक अंसल ब्रदर्स समेत 16 लोगों को अभियुक्त बनाया गया. इसमें सबसे हाई प्रोफाइल नाम सिनेमा के मालिक सुशील और गोपाल अंसल थे.

अदालत ने 2007 में सभी अभियुक्तों को दोषी पाया. तब तक इनमें से 4 की मौत हो चुकी थी. इनमें से कइयों को 7 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा सुनाई गई. अंसल ब्रदर्स को मात्र दो साल की जेल हुई. नीलम का कहना था, यह बात झटका देने वाली थी कि जो 59 लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार थे उन अंसल ब्रदर्स को मात्र दो साल की सजा सुनाई गई. लेकिन जब दिल्ली हाई कोर्ट में सज़ा को चुनौती दी तो सजा बढ़ने की बजाय आधी हो गई.

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 2015 में इसका फैसला आया. यहां का फैसला और भी झटका देने वाला था. कोर्ट ने अंसल ब्रदर्स की जेल की सजा पूरी तरह माफ कर दी और उनके 30-30 करोड़ का जुर्माना लगाया.
इसमें सिनेमा मैनेजमेंट को जिम्मेदार मानते हुए आरोप लगाए थे की उन्होंने सही समय पर लोगों को आग की जानकारी नहीं दी गई थी। दिल्ली विद्युत् बोर्ड के एक अफसर के खिलाफ भी वारंट जारी हुआ था,जिसने उस सिनेमा की ठीक से जांच नहीं की थी।

उपहार अग्निकांड पर 13 जनवरी को नेटफ्लिक्स की वेबसीरीज ‘ट्रायल बाय फायर’ रिलीज हुई. इस वेबसीरीज पर रोक लगाने के लिए सुशील अंसल ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया.

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यह ट्रेजेडी अब तक की सबसे दुखद ट्रेजडियों में से एक है। इसमें किसी ने अपने माता पिता को खोया तो किसी ने अपना करीबी , किसी ने अपना भाई तो किसी ने अपनी बहन। इस घटना में कई परिवारों के छोटी उम्र के बच्चों ने भी दम तोड़ दिया जिनके आगे पूरी ज़िन्दगी पड़ी थी। इस दुखद घटना से अनगिनत कहानियां जुडी है उनमे से एक कहानी है 22 साल के सुदीप की जिनका उस दिन जन्‍मदिन था और सुदीप ने सोचा भी नहीं होगा की उनका जन्मदिन ही उनका मरण दिन हो जाएगा।
वहीँ दूसरी नीलम की कहानी है जिन्होंने अपने दोनों बचो को इस अग्निकांड में खो दिया। इस हादसे में नीलम कृष्णमूर्ति ने अपने दोनों बच्चे 17 साल की उन्नति और 13 साल के उज्जवल को खो दिया था।
बीबीसी की एक रिपोर्ट में नीलम कहती हैं, धीरे-धीरे मुझे यह समझ आने लगा कि उस दिन क्या हुआ था, सिर्फ बालकनी में बैठे लोगों की ही मौत क्यों हुई. मेरा बेटा-बेटी और सभी पीड़ित बालकनी में ही बैठे थे. अखबारों से मिली जानकारी से यह पता चला कि आग तो बहुत पहले ही लग गई थी, लेकिन फिल्म चलती रही. लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई. दरवाजे बंद थे. चौकीदार भाग गया था. इससे साफ है कि मौत को टाला जा सकता था. जांच में भी ऐसी ही कई बातें सामने आई थीं.
नीलम और उनके पति ने सिर्फ अपने बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि इस घटना में मारे गए उन उनसठ लोगों के लिए इन्साफ पाने के लिए दिन रात एक कर दिया।

उपहार सिनेमा में हुए इस अग्निकांड को लोग आज दिन तक भी नहीं भूल पाए है। यह अग्निकांड इस देश के सुस्त सिस्टम को साफ दर्शाता है।

 

 

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