आज दुनिया भर में हर जगह ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा यानी बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है । इस साल 29 जून को बकरीद मनाई जा रही है ।
क्यों मनाया जाता है?
ईद अल अजहा को अलग अलग नामों से जाना जाता है।इसे कुर्बानी की ईद भी कहा जाता है । यह इस्लाम धर्म में विश्वास करने वालो के लिए पवित्र त्योहार है । रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है । इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।
पूरी दुनिया के मुसलमान इस महीने में मक्का सऊदी अरब में एकत्रित होकर हज मनाते है। ईद उल अजहा भी इसी दिन मनाई जाती है। वास्तव में यह हज की एक अंशीय अदायगी और मुसलमानों के भाव का दिन है। दुनिया भर के मुसलमानों का एक समूह मक्का में हज करता है बाकी मुसलमानों के अंतरराष्ट्रीय भाव का दिन बन जाता है। ईद उल अजहा का अक्षरश: अर्थ त्याग वाली ईद है इस दिन जानवर की कुर्बानी देना एक प्रकार की प्रतीकात्मक कुर्बानी है।
क्या है विधि?
हर साल मनाए जाने वाले बकरीद पर्व पर जिस मेमने की कुर्बानी दी जाती है, उसके गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है । जिसका एक हिस्सा गरीबों को, दूसरा हिस्सा दोस्तों और सगे संबधियों को और तीसरा हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है । बकरीद का पर्व हमें त्याग और बलिदान की शिक्षा देता है । आज हर मुस्लिम भाई बहन उस कुर्बानी को याद कर इस त्योहार को मनाते है । इस त्योहार को लेकर बाजारों में हर जगह रौनक होती है । खरीदार बकरे,नए कपड़े,खजूर आदि वस्तुएं खरीदते है ।