वह परिवार के साथ जहांगीरपुरी एच ब्लॉक में रहता था। उस पर पहले से 18 आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 21 जुलाई को शेख शहादत को उसके चार साथियों के साथ शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। अगले दिन सभी को अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने आगे की जांच के लिए शेख शहादत को एक दिन की रिमांड पर हिरासत में लिया। जबकि अन्य को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। शनिवार शाम अस्पताल में उसका मेडिकल करवाया गया। उसके बाद रात में खाना खाने के बाद उसे लॉकअप में बंद कर दिया गया। रविवार सुबह लॉकअप के पास तैनात संतरी ने शेख शहादत को जोर जोर से सांस लेते देखा। संतरी ने इस बात की जानकारी ड्यूटी अफसर को दी। उसके बाद पुलिसकर्मी ने उसे तुरंत इलाज के लिए अंबेडकर अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
दोस्तों के साथ खाना खाने गया था आरोपी
शेख शहादत के परिवार वालों ने पुलिस पर कई संगीन आरोप लगाए हैं। शेख की भतीजी शहाना ने बताया कि उसके चाचा जहांगीरपुरी में पार्किंग में काम करते थे। 21 जुलाई की रात अपने दोस्तों के साथ नेताजी सुभाष प्लेस इलाके में खाना खाने गए थे। जहां से पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया गया। बताया गया कि उनके पास से हथियार मिले हैं। उसने आरोप लगाया कि एक पुलिसकर्मी ने उनको छोड़ने के एवज में एक लाख रुपये की मांग की, लेकिन गरीब होने की वजह से वह पैसे नहीं दे पाए। पुलिस की पिटाई से उनकी मौत हुई है। परिवार वालों का आरोप है कि सुबह में उनलोगों को बताया गया कि उसकी तबीयत खराब है और उसे अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो घंटे तक उन्हें मिलने नहीं दिया गया। फिर बताया गया कि शेख की मौत हो गई।
परिवार वालों ने किया हंगामा
शेख की मौत की जानकारी मिलने के बाद परिवार वालों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। इसको देखते हुए पुलिस ने नेताजी सुभाष प्लेस थाने जाने के सभी रास्ते पर बैरिकेडिंग कर दी और किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। उत्तर पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त जितेंद्र मीना ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने परिवार के लगाए आरोप को निराधार बताया और कहा कि लॉकअप में शेख की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद उसके मौत के कारणों का खुलासा हो पाएगा।