गंगा-यमुना के बढ़ते जलस्तर से तटीय बस्तियों में अब बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। रविवार को कछारी इलाकों की ओर गंगा-यमुना का पानी बढ़ने लगा। देर रात हरिहर गंगा आरती स्थल तक गंगा पहुंच गई। इस बीच फाफामऊ घाट पर दफन किए गए चार शव कटान के बाद उतराने लगे। इन शवों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार कराया गया।
गंगा-यमुना के जलस्तर में वृद्धि से दो सौ से अधिक पूजा-प्रसाद की दुकानें हटानी पड़ीं हैं। तीर्थपुरोहितों की चौकियां त्रिवेणी बांध पर लगने लगी हैं। पहाड़ों पर हो रही बारिश से गंगा-यमुना के जलस्तर में इजाफा जारी है। रविवार को एक सेमी. प्रतिघंटा की रफ्तार से जलस्तर में वृद्धि होती रही। इसी तरह बेली कछार के अलावा शिवकुटी, बघाड़ा और सलोरी के निचले इलाकों में गंगा ने दस्तक दे दी है।
रामघाट के अलावा काली घाट और दारागंज श्मशान घाट तक पानी आ गया है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक शाम को फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 79.26 मीटर दर्ज किया गया। छतनाग में गंगा 77.51 मीटर पर पहुंच गई है। जबकि, नैनी में यमुना का जलस्तर 78.07 मीटर रिकॉर्ड किया गया। सिंचाई बाढ़ खंड के अभियंताओं के मुताबिक प्रवाह बढ़ने से कछार में पानी आने लगा है।
हालात को देखते हुए सिंचाई बाढ़ खंड के अधिकारियों ने बांध का जायजा लिया। एहतियात के तौर पर बख्शी बांध पर निगरानी बढ़ा दी गई है। उधर, फाफामऊ श्मशान घाट पर कटान तेज हो गई है। कटान की वजह से दोपहर बाद चार शव रेत समाधि से बाहर आ गए। इन शवों को निगरानी टीम के सदस्यों ने बहने से रोक लिया। जोनल अधिकारी नीरज सिंह ने शाम को पूजापाठ कराकर शवों का अंतिम संस्कार कराया। कटान को देखते हुए फाफामऊ के अलावा छतनाग श्मशान घाटों पर निगरानी बढ़ा दी गई है।