चेन्नई। भारतीय संविधान के निर्माता कहे जाने वाले भीमराव अंबेडकर की तस्वीरें फिर से पूरे तमिलनाडु की अदालतों में लगे मिलेंगे। राज्य के कानून मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि अदालत से तस्वीर हटाने का कोई आदेश नहीं दिया गया है। वहीं, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय विजय कुमार गंगापुरवाला ने भीमराव अंबेडकर सहित नेताओं की तस्वीरों को लगाने के संबंध में यथास्थिति जारी रखने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अदालत में से किसी भी तस्वीर को हटाने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
गौरतलब है, हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया था कि तमिलनाडु और पुडुचेरी की अदालतें केवल महात्मा गांधी और तमिल कवि-संत तिरुवल्लुवर की तस्वीरें ही लगा सकते हैं। उच्च न्यायालय ने कांचीपुरम के प्रधान जिला न्यायाधीश को अलंदुर में बार एसोसिएशन के नवनिर्मित संयुक्त न्यायालय परिसर के प्रवेश कक्ष से अंबेडकर की तस्वीर हटाने का निर्देश दिया था। यह सर्कुलर सभी जिला अदालतों को रजिस्ट्रार जनरल की ओर से सात जुलाई को भेजा गया था।
इसके बाद से ही पूरे राज्य के वकीलों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। विरोध कर रहे वकीलों ने इस आदेश को शर्मनाक बताया। कई अधिवक्ता संघों ने कथित तौर पर डॉ. अंबेडकर की तस्वीरों को लगाने की अनुमति का अनुरोध किया था, लेकिन सर्कुलर (परिपत्र) में कथित तौर पर उल्लेख किया गया था कि 11 अप्रैल, 2023 को उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ की बैठक में ऐसे अनुरोधों को खारिज कर दिया गया था।
तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने रविवार को कहा कि वह इस खबर से निराश हैं कि मद्रास उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने विभिन्न संघों के अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया और अदालत और अदालत परिसर में अंबेडकर की तस्वीरों को हटाने का आदेश दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि डॉ. बीआर अंबेडकर हमारे संविधान के निर्माता हैं और माननीय न्यायालय का उद्देश्य संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना है। इसलिए हम अदालत में भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. बीआर अंबेडकर की तस्वीर के लिए एक उचित स्थान मानते हैं।
विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) प्रमुख थोल तिरुमावलवन ने भी सर्कुलर का विरोध किया था। साथ ही इसे वापस नहीं लेने पर तमिलनाडु के सभी जिलों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की धमकी दी थी।