हीट वेव के दौरान स्कूल रहेंगे बंद, सार्वजनिक स्थलों पर की जाएगी पीने के पानी की व्यवस्था

राजधानी में गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने हीट एक्शन प्लान तैयार किया है। इसे पिछले महीने केंद्र सरकार को सौंप दिया है। इसके लिए एक पायलट प्रोजेक्ट की भी योजना बनाई है। इसमें पहचाने गए क्षेत्रों में छतों को सफेद रंग से रंगने में मदद मिलेगी और घर के अंदर कूलर रखने की सलाह दी गई है। वहीं, हीट वेव चलने पर शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल को पीक आवर्स (दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे) के दौरान संचालन न किया जाए। इसके साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। उधर बिजली की निर्बाध बिजली आपूर्ति की जाएगी।

इसके लिए तैनात किए गए नोडल अधिकारी इसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होंगे। डीडीएमए के एक अधिकारी ने बताया कि हीट एक्शन प्लान (एचएपी) अभी भी नियुक्त किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली देश के सबसे गर्म शहरों में से एक है और शीर्ष पर है। जलवायु परिवर्तन के कारण हीट वेव अधिक तीव्र होती जा रही हैं। भारत में सन 1971-2019 तक 706 हीट वेव की घटनाएं दर्ज की गई हैं। पूर्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन, कमलजीत रे, एसएस रे, आर के गीरी और एपी डिमरी वैज्ञानिक द्वारा लिखित एक पेपर के अनुसार हीट वेव के चलते 17 हजार से अधिक लोगों की जान गई है।
वहीं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गांधीनगर का एक अध्ययन में सामने आया है कि सन 2100 में भारत में भीषण हीट वेव में 30 गुना की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी जा सकती है। इसमें अधिकतम तापमान से अधिक होने पर ‘रेड अलर्ट’ शुरू हो जाएगा। सामान्य तापमान कम से कम 6 डिग्री सेल्सियस पर ऑरेंज अलर्ट होगा और अधिकतम तापमान चार से पांच डिग्री सेल्सियस होने पर जारी किया जाएगा। इसमें सामान्य से ऊपर, जबकि प्रस्थान के लिए ‘येलो अलर्ट’ दिया जाएगा।

तीन चरणों में लागू होगा हीट वेव प्लान
हीट वेव योजना तीन चरणों में लागू की जाएगी। इसमें चरण एक में (पूर्व-गर्मी का मौसम में फरवरी और मार्च) में लागू होगा। इसमें चेतावनी प्रणाली और अलर्ट जारी करने के लिए एक संचार योजना लागू होगी। जिसमें स्वास्थ्यकर्मी और स्वैच्छिक समूह शामिल होंगे। इनके लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दूसरे चरण में कोल्ड केंद्रों का निर्माण किया जाएगा। इसमें मंदिरों, सार्वजनिक इमारतों, मॉल और अस्थायी रैन बसेरों को सक्रिय किया जाएगा। वहीं, बाहरी श्रमिकों, स्लम समुदायों और अन्य कमजोर लोगों में पानी की कमी न हो इसके लिए पर्याप्त रूप से पानी की व्यवस्था की जाएगी।
आधिकारिक अनुमान के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में खपत के लिए लगभग 1,300 एमजीडी पानी की आवश्यकता है। लेकिन, दिल्ली जल बोर्ड केवल 1 हजार के आसपास ही आपूर्ति कर सकता है। जिससे कई क्षेत्र पानी की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में निर्माण स्थलों, बस स्टॉप और अन्य स्थानों पर ओआरएस की व्यवस्था की जाएगी व पानी के टैंकर से पानी पहुंचा जाएगा। तीसरा चरण जुलाई-सितंबर अवधि में लागू किया जाएगा। इसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों और वृक्षों में शीतल विश्राम केंद्र स्थापित किए जाएंगे। गर्मी वाले क्षेत्रों में पौधारोपण किया जाएगा। ग्रीनपीस इंडिया के अभियान प्रबंधक अविनाश कुमार चंचल ने कहा कि यह देखकर खुशी हुई कि आखिरकार दिल्ली को हीटवेव कार्ययोजना मिल गई है जिसका लंबा इंतजार था।

 

 

Shanu Jha
Author: Shanu Jha

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