रामबाबू गोयल: लगन व काम का लोहा मानती है पार्टी ।

लोकसभा चुनाव 2024 के तारीख की घोषणा के साथ ही पूरे देश में आचार संहिता लागू हो गई है। जिसके बाद सभी राजनीतिक दलों पर प्रचार को लेकर नियम लागू हो गए है, सरकारी खजाना उपयोग करने पर प्रतिबंध लग चुका है। ऐसे में चुनाव होने तक दलों के लिए रणनीतिकार और भी अहम हो जाते है।

कोई भी राजनीतिक दल हो या राजनीतिज्ञ या नेता, राजनीति में आगे बढ़ने के लिए सही नीतियाँ, योजना और मार्गदर्शन का होना बहुत जरूरी होती है। जैसे मगध साम्राज्य को संभालने के लिए कौटिल्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के रणनीतिकार बने जिसके परिणाम स्वरूप ही चन्द्रगुप्त मौर्य राजा बन सके। आचार्य चाणक्य की प्रशासन को कुशल तरीके से चलाने के लिए भी बनाई नीतिया आज भी न्यायसंगत है जिन्हे मौजूदा वक्त भी राजनीति मे उपयोग किया जाता ही रहता है। वर्तमान में राजा-महाराजाओ  का शासन नही है अब देश लोकतंत्र (लोगों के मत ) से चलता है किन्तु अभी भी राजनीति में रणनीतिकारों का अहम योगदान होता है  और एक कुशल व धारदार राजनीति के लिए एक रणनीतिकार की सदैव ही आवश्यकता रहती ही है ।

आज हम आप को एक जमीन स्तर के एक रणनीतिकार से मिलवाते है जो राजधानी दिल्ली मे भाजपा से जुड़े हुए है और जिनका नाम पुराने राजनैतिक गुरुजनों मे शामिल है। जिनका नाम है राम बाबू गोयल।

शास्त्री नगर दिल्ली मे रहने वाले राम बाबू गोयल का 1977 से ही सक्रिय राजनीति में रुझान रहा है। बाल्यकाल से ही स्कूल जाने के साथ-साथ आरएसएस की शाखाओं में जाते थे और जहा उन्हे कई तरह के गुर हासिल हुए। संघ की देश की सेवा, राष्ट्रहित वाली विचारधारा से प्रभवित रामबाबू गोयल भाजपा की राजनीति मे करीबी होते गए और पार्टी से जुड़े कई अहम कामों का दायितत्व इन्हे मिलता रहा।

1977 में आपातकाल के बाद हुए पहले चुनाव में बूथ एजेंट के तौर पर उन्हे पार्टी द्वारा  नियुक्ति मिली। उस दौर में ज्यादा लोग राजनीति में होते नही थे तो घर-घर जाकर लोगों को अपने साथ जुडने के लिए मनाते थे।

6 जुन 1980 को मुरली मनोहर जोशी, लाल कृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी बाजपेई समेत कई बड़े नेताओं के प्रयासों के बाद भारतीय जनता पार्टी बनी। राम बाबू गोयल ने 1980 को भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ली। राम बाबू गोयल ने भाजपा के पहले चुनाव जो कमल चुनाव चिह्न के पर 1980 में लड़ा गया था उस वक्त कंवरलाल गुप्ता के लिए चुनावों मे बतौर पोलिंग बूथ एजेंट के तौर पर  काम किया था ।

1983 में हुए चुनाव में भी इन्हे काम करने का मौका मिला, जिसमे प्रोफेसर पी.के. चाँदला और मास्टर श्रीकृष्ण शर्मा प्रत्याशी थे उस वक्त दिल्ली मे नगर निगम व महानगर पार्षद हुआ करते थे ओर महानगर पार्षद का दर्जा आज के विधायक से भी कही अधिक हुआ करता था, 1983 के चुनावों मे प्रोफेसर पी.के. चाँदला महानगर पार्षद और मास्टर श्रीकृष्ण शर्मा पार्षद के रूप मे विजयी हुए थे।

1984 में हुए लोकसभा चुनावों मे भाजपा से मदन लाल खुराना और काँग्रेस से जगदीश टाईटलर के आमने-सामने थे हालांकि मदन लाल खुराना हार गए इस चुनाव मे भी राम बाबू गोयल मे बूथ स्तर पर काम किया था। 1989,1991,1993 मे हुए चुनावों मे राम बाबू गोयल कि सक्रिय भागीदारी निभाई थी। 1993 में दिल्ली विधानसभा के लिए हुए चुनावों में प्रोफेसर .के. चाँदला भाजपा प्रत्याशी  थे ओर उन्हे जीत भी मिली थी। इस चुनाव मे राम बाबू गोयल भाजपा के केन्द्रीय टीम के कोर सदस्य थे। 1996 में विजय कुमार गोयल सांसद के लिए उम्मीदवार नियुक्त हुए जिनका सामना टाईटलर से हुआ इस चुनाव मे विजय कुमार गोयल को जीत मिली। उसके बाद से ही राम बाबू गोयल को पार्टी ने चुनावों के वक्त कई अहम जिम्मेदारियां दी जिन्हे  रामबाबू गोयल ने बखूबी निभाया भी।

1996,1998,1999,2004 के लोकसभा चुनाव में भी राम बाबू गोयल  भाजपा के लिए सक्रिय भूमिका निभायी। लगातार भाजपा की तरफ से देशहित में कार्यकर्ता रणनीतिकार के तौर पर काम करते रहे है। इन सभी चुनावों में राम बाबू की भूमिका मात्र कार्यकर्ता भर नही रही, ये अपने इलाके के उम्मीदवारों के लिए रणनीतिकार के तौर पर भी कार्यरत रहे। जिनके चलते ही 2002, 2007 के दिल्ली नगर निगम चुनावों मे उन्हे शास्त्री नगर वार्ड मे चुनाव संयोजक बनाया गया। ज्ञात रहे 2022 के निगम चुनावों मे रामबाबू गोयल शास्त्री नगर वार्ड के चुनाव इंचार्ज थे।

दो दर्जन से भी अधिक चुनावों में भाजपा के लिए कार्यकर्ता रणनीतिकार के तौर पर काम कर चुके राम बाबू गोयल ने दिल्ली अपटूडेट समाचारपत्र से बात करते हुए कहा कि “पहले के और अब के चुनावों में जमीन आसमान का अंतर है। असलियत में जो चुनाव हुआ करते थे वो उसी जमाने में हुआ करता था। अब तो टेक्नॉलजी सब बदल गई है, आज के कार्यकर्ता को खुद को नही पता होता की चुनाव में उन्हे क्या करना है। पहले के कार्यकर्ता जमीन पर काम करते थे सारी योजनाएँ बनाते थे और उम्मीदवार उन्ही के भरोसे चुनाव लड़ते थे। अब उम्मीदवारों के भरोसे कार्यकर्ता को काम करना पड़ता है”। भाजपा के विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसे अब किसी कार्यकर्ता की जरूरत है या नही का जवाब देते हुए उन्होंने बताया “ भाजपा का जन्म 1980 में हुआ उससे पहले भारतीय जनसंघ हुआ करती थी और चुनाव चिन्ह दीपक हुआ करता था। उस समय काँग्रेस का वर्चस्व पूरे देश में था।  गाँव देहात में लोगों को यही लगता था कि कॉंग्रेस ने देश को आजादी दिलाई है, उसका उनको लाभ होता था। पर जब भाजपा का जन्म हुआ और पार्टी ने अपना स्वरूप बढ़ाना शुरू किया और आज चलते-चलते इस स्तर की पार्टी है जिसके पच्चीस करोड़ सदस्य है’।

आज भाजपा दुनिया का सबसे बड़ी राजनीतिक दल है जो किसी एक व्यक्ति या एक नाम की वजह से नही बल्कि उसमे जुड़े राम बाबू गोयल जैसे एक-एक कार्यकर्ता की वजह से है। यही कारण है कि कभी एक वोट की कमी से गिरने वाली भाजपा की सरकार पिछले दस सालों से भारी बहुमत के साथ केंद्र के साथ-साथ अठारह राज्यों में भी अपनी सरकारें बनाई हुई है।

राम बाबू गोयल जैसे लाखों कर्मठ, ईमानदार बुनियादी आधार स्तंभों के दम पर ही भाजपा इस बार लोकसभा चुनावों में 400 से ऊपर सीट जीतने का दावा कर रही है।

 

written by: Narender Dhawan

Narender Dhawan
Author: Narender Dhawan

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