नई दिल्ली। जस्टिस फॉर किंतन की ड्राइव को एक बड़ी सफलता मिली है। बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा किंतन मामले में दायर रिट को स्वीकार कर लिया गया है और आगे की कार्रवाई के लिए दिल्ली सरकार को तीन हफ्ते में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। अब ऐसे में यह स्पष्ट हो गया है कि जिस मामले को दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस दबाने में लगी हुई थी अब उस मामले में पूरी तरह से न्याय की उम्मीद बढ़ गई है।
आपको बता दे कि 11 जनवरी को सदर बाजार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शास्त्री नगर के दिल्ली सरकार के राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय ललिता ब्लॉक में छठी क्लास में पढ़ने वाले किंतन सारस्वत को स्कूल के सीनियर छात्रों द्वारा रैगिंग कर पीटे जाने की घटना के बाद छठी कक्षा के छात्र किंतन की मौत हो गई थी। अब इसी मामले में दायर रिट की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने बुधवार को दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया गया। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से तीन हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है और मामले को सुनवाई के लिए 24 मई को सूचीबद्ध किया गया है।
ज्ञात रहे अस्पताल में डॉक्टरों और सुविधाओं का अभाव बताते हुए किंतन को दीप बंधु अस्पताल में इलाज करने से मना कर दिया गया, जो किंतन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। याचिककर्ता का कहना है कि उनके बेटे का इलाज कर रहे डॉक्टर ने उसे एक निजी क्लिनिक में जाने की सलाह दी। याचिकाकर्ता ने विभिन्न अधिकारियों के समक्ष और सराय रोहिल्ला थाने में भी शिकायत दर्ज की। 12 फरवरी को, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने घटना को गम्भीर मानते हुए स्कूल को कार्रवाई की रिपोर्ट देने का निर्देश जारी किया था। जिसे सर्वोदय विद्यालय ललिता ब्लॉक शास्त्री नगर ने लागू नहीं किया और कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की।
याचिका में कहा गया है कि समय पर ठीक से इलाज ना मिलने के कारण किंतन सारस्वत की 20 जनवरी को मृत्यु हो गई और किंतन की मौत केवल अस्पताल में अपर्याप्त सुविधाओं और डॉक्टरों की अनुपलब्धता और स्कूल के प्रबंधन के कारण हुई है। क्योंकि यह पूरा मामला दिल्ली सरकार से संबंधित था और दिल्ली सरकार की लापरवाही इस पूरे मामले में साफ तौर पर दिखाई दे रही थी। जिसके कारण ही स्थानीय विधायक ने इस पूरे मामले से अपनी दूरी बनाए रखना उचित समझा। लेकिन उनके समर्थक और उनकी पार्टी के अन्य लोगों ने इस पूरे मामले में पीड़ित परिवार पर ही गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए और यहां तक कहा कि यह लोग स्कूल की प्रतिष्ठा को बदनाम करने के लिए ऐसा सब कुछ कर रहे हैं जबकि यह पूरा घटनाक्रम स्कूल में हुआ ही नहीं था। ऐसे में पीड़ित परिवार की भावनाएं आहत होना लाजिमी था और अन्य अभिभावकों का जिस तरीके से इस पीड़ित परिवार को सहयोग और साथ मिला जिसके कारण ही किंतन को न्याय दिलवाने कि मुहिम यहा तक पहुच पाई है।